उत्तर प्रदेश (UP news) के स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों में कई तौर पर ने अनियमितताएं सामने आ रही हैं, जिनमें ना सिर्फ नियम के विरुद्ध हुए ट्रांसफर की शिकायत सामने आ रही है बल्कि कई मामलों में पॉलिसी के खिलाफ जा कर के भी स्थानांतरण किए गए हैं. एक-एक कर जो ट्रांसफर लिस्ट सामने आई है उनमें ऐसे नाम भी हैं जो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं. कई ऐसे नाम हैं, जिनका दो-दो जगह तबादला कर दिया गया है.
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इस लिस्ट में ऐसे अस्पताल हैं, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर्स का टोटा होने से व्यवस्था पर असर पड़ेगा. इनमें लखनऊ का सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल और लोकबन्धु अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी रही है. सूत्रों के मुताबिक 2150 से ज्यादा हुए इन तबादलों में 25 फीसदी के करीब ट्रांसफर नियमों की अनदेखी कर किए गए हैं. प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने तमाम ऐसे केस उजागर किए हैं, जो ट्रांसफर प्रक्रिया की बड़ी गड़बड़ियों को सामने लाता है.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) के पत्र लिखने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हुए मानकों के विपरीत ट्रांसफर में संशोधन शुरू हुआ है. शिकायत मिलने के बाद डायरेक्टर हेल्थ लिली सिंह की तरफ से सभी ट्रांसफर की जांच के लिय 5 सदस्यीत कमेटी गठित की गई है, जो स्वास्थ्य विभाग में हुए ट्रांसफर की जांच करेगी.
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यूपी तक से बात करते हुए प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के महासचिव डॉ अमित सिंह ने कहा कि अब तक राज्य के स्वास्थ्य विभाग और यूपी प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ को कथित “विसंगतियों” और “मनमानापन” की कम से कम 350 शिकायतें तबादला प्रक्रिया से प्रभावित डॉक्टरों से मिली हैं. इसमें कम से कम दो मृत पेशेवरों को स्थानांतरित किया गया था, जिसने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं.
रिटायरमेंट की कगार पर खड़े डॉक्टरों का भी ट्रांसफर
डॉ अमित सिंह ने कहा कि यह भी पता चला है कि तबादलों में सेवानिवृत्ति की कगार पर मौजूद डॉक्टरों को भी शामिल किया गया है. कई स्थानान्तरण सूचियों के अनुसार जून के अंतिम सप्ताह में आदेश जारी किए गए थे. इसके साथ ही डीजी हेल्थ की तरफ से जो कमेटी जांच के लिए बनाई गई है वह भी सवालों के घेरे में है क्योंकि उसमें कुछ अधिकारी उसी पद के हैं जिन पर जांच बैठाई गई है.
डॉ सिंह ने कह कि कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो सेवानिवृत्ति के करीब हैं और दो साल के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले डॉक्टरों को कोई नई पोस्टिंग नहीं देने के नियम के बावजूद उनका ट्रांसफर हुआ है. स्थानांतरित होने वालों में एक ऐसे डॉक्टर शामिल हैं, जो अगले 11 महीनों में सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार हैं. ऐसे ही कई मामलों में, एक ही जिले में पति-पत्नी का तबादला करने के नियम का पालन नहीं किया गया है.
वहीं लिस्ट के मुताबिक जिन लोगों का तबादला किया गया है उनमें एक डॉक्टर ऐसे भी हैं, जिनका लीवर संक्रमण की वजह से 17 जून को निधन हो चुका है. उनकी मौत के 13 दिन बाद 30 जून को यह आदेश सामने आया है. ये चित्रकूट जिले में तैनात डॉ दीपेंद्र सिंह थे, जिन्होंने 2020 में अपने गृह जिले प्रयागराज में स्थानांतरण की मांग की थी. मंगलवार को डिप्टी सीएम पाठक ने मृतक डॉक्टर के परिवार से मुलाकात की थी.
डॉ दीपेंद्र सिंह अपने खराब स्वास्थ्य के कारण 2020 में अपने गृह जिले में स्थानांतरण चाहते थे, लेकिन उनके अनुरोध को लगभग दो साल तक स्वीकार नहीं किया गया था. हालांकि उनका नाम हाल ही में तबादले किए गए अधिकारियों की सूची में था. उनकी मृत्यु के बाद उन्हें प्रयागराज की पोस्टिंग दी गई. तबादला सूची के अनुसार सिंह को प्रयागराज के मोती लाल नेहरू अस्पताल में नई पदस्थापना दी गई है.
इस बीच, बाराबंकी जिले में सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) के पद पर तैनात डॉ सुधीर चंद्र का 12 जून को निधन हो गया. हालांकि, उनका नाम भी 30 जून को ट्रांसफर किए गए लोगों की सूची में था. सूची में उल्लेख है कि चंद्रा को एसीएमओ के रूप में फतेहपुर जिले में स्थानांतरित किया गया था.
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डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मांगी रिपोर्ट
दूसरी तरफ अब डीजी स्वास्थ्य डॉ लिली सिंह ने स्थानांतरण नीति पर सवाल उठाया है. यूपी तक से बातचीत में सिंह ने कहा हमने एक समिति का मसौदा तैयार किया है, जो सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी, समिति में पांच सदस्य हैं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हमसे रिपोर्ट मांगी है इसलिए हम इस कमेटी के माध्यम से सभी विवरण रिपोर्ट भेज रहे हैं. कई एप्लिकेशन त्रुटि के साथ पाए गए हैं इसलिए हम फ़िल्टर कर रहे हैं.
वहीं विभाग के सूत्रों के मुताबिक स्थानांतरण सूची को पहले सचिव (चिकित्सा और स्वास्थ्य) रविंदर कुमार द्वारा अनुमोदित किया जाता है, और फिर अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) प्रसाद द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है. मंत्री की मंजूरी के बाद स्वास्थ्य विभाग में सभी को स्थानांतरण सूची भेजी जाती है. ऐसे में इस तरह एक साथ नियम विरुद्ध हुए ट्रांसफर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
गौरतलब है कि यूपी में स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति पर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सवाल उठाए थे. अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा और स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को संबोधित पाठक के 4 जुलाई के पत्र ने योगी आदित्यनाथ सरकार में हलचल पैदा कर दी है, इस पर सवाल उठाते हुए कि क्या डिप्टी सीएम को जानकारी दिए बिना तबादले किए गए थे.
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