प्रदेश में बीजेपी के दो नेताओं में ‘बनिया’ शब्द पर आमने-सामने हो गए हैं. बीजेपी के नेता विनीत अग्रवाल ने यूपी सरकार में मंत्री दिनेश खटीक के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बंदर के हाथ हल्दी की गांठ लग जाती है तो वह अपने आप को पंसारी समझने लगता है. मंत्री जी का भी यही हाल है. गलतफहमी में हैं. बनिया समाज अब मूंग की दाल खाने वाला बनिया नहीं है.
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दरअसल मेरठ में पुलिस के खिलाफ त्यागियों के धरने में पहुंचे मंत्री खटीक मेरठ के एसएसपी के चिठ्ठे खोल रहे थे. तभी किसी ने बीच में ही कुछ बोला तो दिनेश खटीक बिदक गए. बोले- अकड़ से बात न कर पहलवान! मैं MLA बन गया लेकिन गांव का ही हूं. शहर का नही हूं, ना ‘बनिए की औलाद’ हूं.
खटीक का ये बयान राजनैतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बयान का वैश्य समाज भी विरोध कर रहा है. वैश्य समाज का कहना है कि बनिया बिरादरी को कमजोर न समझें. वैश्य समाज भाजपा का तन मन धन से कार्यकर्ता है, लेकिन बीजेपी ये ना समझे कि बंधुआ मजदूर हैं. मामले में वैश्य समाज ने इकट्ठे होकर डीएम को ज्ञापन दिया और अपनी नाराजगी जाहिर की.
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