किसी ने सच ही कहा है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती. कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के गांव चावली के प्राथमिक विद्यालय में, जहां एक 92 साल की बुजुर्ग महिला ने जब पढ़ने की ठानी तो वो आसपास के क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन गईं.
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आज 92 साल की सलीमा खान स्कूली छात्रों के साथ बिना किसी झिझक के पढ़ाई कर रही हैं. 92 साल की छात्रा सलीमा खान विद्यालय में पढ़ाई करके काफी खुश नजर आ रही हैं. सलीमा खान का कहना है कि उन्हें पढ़ना अच्छा लगता है.
सलीमा ने कहा,
“मैं स्कूल जाती हूं. अब मैं नोट गिन सकती हूं.” उन्होंने कहा, “मैं काफी खुश हूं, स्कूल में पढ़ने से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है. अब मैं 100 तक गिनती कर लेती हूं और हिंदी भाषा में भी काफी ज्ञान प्राप्त कर लिया है.”
प्राथमिक विद्यालय चावली की प्रधानाध्यापिका डॉ. प्रतिभा शर्मा ने सलीमा खान को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. डॉ. प्रतिभा शर्मा का छात्रा सलीम खान से आत्मीयता का रिश्ता जुड़ गया है.
प्रिंसिपल डॉ. प्रतिभा शर्मा कहती हैं,
“मैंने उससे कहा कि अगर वह स्कूल में आकर पढ़ेंगी, तो मैं उनकी पेंशन की व्यवस्था कर दूंगी, इससे उसे प्रेरणा मिली.अब वह 100 तक गिनती कर सकती हैं, अपना नाम खुद लिख सकती है.”
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