साल 2013 में हुआ सीओ जियाउल हक हत्याकांड (DSP Jiyaul Hak Case News) का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. दरअसल इस मामले की जांच सीबीआई (CBI) कर रही है. इस मामले में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh News) भी आरोपी हैं. आज साल 2023 चल रहा है. मगर पिछले 10 सालों से ये केस राजा भैया का पीछा नहीं छोड़ रहा है.
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इसी बीच आज यानी गुरुवार को सीबीआई की टीम प्रतापगढ़ (Pratapgarh News) में पहुंची हैं. इस दौरान पुलिस लाइन के गेस्ट हाउस में मनोज शुक्ला से सीबीआई की टीम पूछताछ कर रही है. बता दें कि मनोज शुक्ला तत्कालीन एसएचओ थे. बता दें कि इस मामले में राजा भैया के साथ एमएलसी गोपाल समेत 5 लोग आरोपी हैं.
जियाउल हक को छोड़कर भागे थे मनोज शुक्ला
आपको बता दें कि हथिगवा थाना के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को जब हंगामा और हिंसा हुई, तब तत्कालीन सीओ जियाउल हक मौके पर पहुंचे. इस दौरान गांव वालों ने जियाउल हक को घेर लिया और उनकी हत्या कर दी. आरोप है कि इस दौरान मनोज शुक्ला भी जियाउल हक के साथ थे. मगर वह जियाउल हक को अकेला छोड़ कर भाग गए थे. आपको ये भी बता दें कि पुलिस लाइन के गेस्ट हाउस में सीबीआई मामले के विवेचक को भी तलब कर रही है.
राजा भैया से भी हो सकती है जल्द पूछताछ?
माना जा रहा है कि सीबीआई की टीम इस मामले में जल्द ही रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से भी पूछताछ कर सकती है. फिलहाल अपनी पत्नी के साथ विवादों में फंसे हुए राजा भैया, इस केस के खुलने के बाद एक बार फिर मुश्किलों में घिर सकते हैं.
जियाउल हक की पत्नी ने लगाई थी सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बता दें कि 2 मार्च 2013 को सीओ जियाउल हक की हत्या हुई थी. तब इस मामले में राजा भैया का नाम भी सामने आया था. इस मामले ने यूपी को हिला कर रख दिया था और जमकर सियासत भी हुई थी. मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. बता दें कि जांच एजेंसी ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट भी लगा दी थी. इसी दौरान सीओ जियाउल हक की पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और सीबीआई की टीम आज प्रतापगढ़ पहुंच गई.
क्या था जियाउल हक हत्याकांड
दरअसल 2 मार्च 2013 की शाम प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे यूपी को हिला कर रख दिया. बता दें कि तत्कालीन प्रधान नन्हे यादव की उस वक्त हत्या कर दी गई, जब बलीपुर गांव में एक विवादित जमीन का मसला सुलझाने के लिए वह कामता पाल के घर पहुंचे थे. बाइक से आए बदमाश प्रधान नन्हे यादव को गोली मारकर फरार हो गए थे. प्रधान की हत्या की खबर उनके समर्थकों को मिली तो उन लोगों ने कामता पाल के घर में आग लगा दी.
घायल नन्हे यादव को इलाज के लिए अस्पताल भी ले जाया गया था. हालांकि, उनकी मौत हो गई थी. लोगों में बढ़ते आक्रोश और हुजूम के बीच नन्हे यादव का शव बिना पोस्टमॉर्टम के ही गांव पहुंच गय मामला हत्या का था, ऐसे में बिना पोस्टमॉर्टम के शव गांव पहुंचने की खबर तत्कालीन सीओ जियाउल हक को मिली तो वह अपने लाव लश्कर के साथ गांव वालों से बात करने पहुंच गए. लेकिन गांव में हिंसा शुरू हो गई, पथराव शुरू हो गया, कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा के साथ सीओ जियाउल हक जैसे ही गांव में पहुंचे तो गली में गांव वालों ने पुलिस पर हमला बोल दिया. इसी अफरा-तफरी में हुई फायरिंग में नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की भी गोली लगने से मौत हो गई. इधर गांव वालों के हमला बोलते ही पुलिस वाले भाग गए और जियाउल हक गुस्साए गांव वालों की भीड़ का शिकार हो गए और उनकी भी हत्या कर दी गई.
जियाउल हक की पत्नी ने करवाया है केस दर्ज
बता दें कि इस मामले में सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने हत्या की तहरीर दी थी. जियाउल हक की पत्नी ने 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था. इसमें राजा भैया, तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, राजा भैया के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, राजा भैया के ड्राइवर रहे संजय सिंह उर्फ गुड्डू के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.
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