हाल ही में गुजरात के मोरबी में एक दर्दनाक पुल हादसा हुआ था, जिसमें तकरीबन डेढ़ सौ लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सतर्कता बरतते हुए प्रदेश के तमाम पुलों के सर्वे का निर्देश जारी किया था. इसी क्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी चार ऐसे पुल चिन्हित हुए हैं, जो जर्जर हैं और आवागमन के लायक नहीं है.
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विभागीय अधिकारियों के अनुसार सर्वे की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. यूपीतक की टीम ने भी इन पुलों का सर्वे किया. हमारी टीम ग्राउंड जीरो तक पहुंची और हमने यह देखा कि इन जर्जर पुलों के क्या हालात हैं. ग्राउंड जीरो पर हमारे कैमरे ने जो तस्वीरें कैद की उन्हें देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
उधर, इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने भी कहा है कि सरकार द्वारा सतर्कता बरतते हुए एहतियात के तौर पर ऐसे पुलों को चिन्हित करने का निर्देश जारी किया गया था, जो पुराने और जर्जर हो चुके हैं. इसकी रिपोर्ट हर जिले से मंगाई गई थी और जर्जर पुलों को जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा. साथ ही अगर किसी ने निर्माण में लापरवाही की है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
चंदौली के नक्सल प्रभावित इलाके चकिया के मूसाखांड पुल की है. जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर जंगली इलाके में स्थित इस पुल से जिले के तकरीबन दो दर्जन गांव के लोग तो आते-जाते ही हैं. साथ ही साथ सीमावर्ती बिहार के तरफ से भी लोगों का आवागमन इस पुल से ही होता है.
बताया जाता है कि मुसखांड डैम के ठीक बगल में स्थिति यह पुल महज आठ से 10 साल पुराना है. लेकिन इसकी हालत देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि इसके निर्माण में किस तरह की लापरवाही बरती गई है. पुल के आधा दर्जन से ज्यादा पिलर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और उसमें सरिया दिखाई दे रहा है.
पिलर मे इस्तेमाल किए गए सरिया को देखकर भी आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि इस पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार की हदें किस तरह से पार की गई होंगी. 8 से 10 सालों में ही पुल का यह हाल है कि कभी भी पुल धराशाई हो सकता है. लेकिन आसपास के लोगों की मजबूरी है कि वह अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुल से आवागमन करते हैं.
मूसा खांड के क्षतिग्रस्त पुल को देखने के बाद अब आप इस दूसरे पुल को देखिए. यह पुल चंदौली के चकिया के मगरौर गांव के पास करमनासा नदी पर बना हुआ है. बताया जाता है कि यह पुल अब से तकरीबन छह दशक पहले बना था. लेकिन वर्तमान समय में इसकी हालत ऐसी हो गई है कि लोग इस पर अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं.
चकिया के पास स्थित इस पुल से चंदौली जनपद के तकरीबन 4 दर्जन से ज्यादा गांव के लोगों का आवागमन होता है. वहीं इलाके में यह एकमात्र ऐसा पुल है, जो बिहार को भी जोड़ता है. इस पुल से होकर उत्तर प्रदेश बिहार के लोग भी अपना आवागमन करते हैं.
सरकार द्वारा मोरबी हादसे के बाद कराए गए सर्वे में इस पुल को भी जर्जर और पुराना बताया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की हालत ऐसी है कि अगर कोई बड़ा वाहन पुल से गुजरता है तो पुल हिलने लगता है.
शासन को भेजी गई रिपोर्ट मे चंदौली के मूसा खांड पुल और मगरौर पुल के साथ-साथ जिले के दो अन्य पुल भी शामिल हैं, जो चकिया के ही इलाके में स्थित हैं. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह ने फोन पर बताया कि शासन के निर्देशानुसार पुलों का सर्वे कराकर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. इसके बाद शासन के निर्देश पर इन पुलों पर जिस तरह की भी मरम्मत और निर्माण कार्य की जरूरत होगी, वह कराया जाएगा.
उधर, उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है. इस संदर्भ में बातचीत करते हुए उन्होंने चंदौली में कहा कि सरकार इस मामले पर काफी संवेदनशील है और तमाम जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है. इसके बाद जिस पुल पर जिस तरह की जरूरत होगी उस तरह से मरम्मत का कार्य या नया निर्माण कार्य कराया जाएगा.
अनिल राजभर ने यह भी कहा कि अगर किसी भी पुल के निर्माण में लापरवाही या भ्रष्टाचार का मामला संज्ञान में आएगा तो संबंधित के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.
वाराणसी: अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के जर्जर पुल से आवागमन को मजबूर हैं लोग
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