उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, चंबल, बेतवा और केन सहित कई नदियां उफान पर हैं और इनके जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. नदियों का जलस्तर बढ़ने से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं. उत्तर प्रदेश का प्रयागराज हो, वाराणसी हो, मिर्जापुर हो, चंदौली हो या फिर बुंदेलखंड का बांदा, जालौन, हमीरपुर,महोबा या फिर इटावा. नदियों के बढ़ते जलस्तर से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है और लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. बांदा मे यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं, प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर में गंगा नदी उफान पर है और खतरे के निशान को पार कर गई. बाढ़ का पानी रिहायाशी इलाकों में घुस गया है और कई जिलों में तो लोग पलायन करने को मजबूर हैं. आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बाढ़ के क्या हालात हैं.
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प्रयागराज में डेंजर लेवल पार, बाढ़ से मचा हाहाकार:
प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां उफान पर हैं. दोनों नदियां डेंजर लेवल को पार कर चुकी हैं और अब जबरदस्त तबाही मचाने लगी हैं. नदियों में आए उफान की वजह से अकेले शहरी इलाके के तीन दर्जन से ज्यादा मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस गया है. एनडीआरएफ ने बाढ़ में फंसे 30 से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है.
गंगा के किनारे के दारागंज-छोटा बघाड़ा-बड़ा-बघाड़ा-करेलाबाग-गौस नगर-सलोरी-गोविंदपुर- शिवकुटी-रसूलाबाद-राजापुर-गंगानगर-अशोकनगर-द्रौपदी घाट-नीवा-जेके कॉलोनी समेत तीन दर्जन से ज्यादा मोहल्ले तालाब बने हुए हैं. कई जगहों पर तो मकानों की पूरी एक मंजिल तक डूब गई हैं. अब तक करीब 2700 लोग 14 बाढ़ राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं. ऐसे में गंगा और यमुना नदियां 86 मीटर का लेवल पार कर सकती हैं. डीएम ने बाढ़ में फंसे लोगों से अपील की है कि समय रहते सभी लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं.
वाराणसी में उफान पर गंगा, घाट किनारे मंदिर और श्मशान डूबे:
वाराणसी में गंगा खतरे के निशान को पार कर चुकी है. वाराणसी में खतरे का निशान 71.26 मीटर है. जिसको बीती देर रात 12:00 बजे की फ्लड रिपोर्ट में ही गंगा ने पार कर लिया था और 71.29 मीटर पर पहुंच गई थी. शनिवार सुबह की रिपोर्ट के मुताबिक। गंगा खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर यानी 71.46 मीटर के भी ऊपर पहुंच गई है.
गंगा में लगातार जलस्तर 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. ज्यादातर तटीय इलाकों और घाट किनारे रहने वालों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. कई घाटों पर गंगा सड़कों और गलियों तक पहुंच गई है. जहां नाव चलते देखा जा रहा है, जिसमें अस्सी घाट मणिकर्णिका घाट भी शामिल है. श्मशान घाट हरिश्चंद्र पर दाह संस्कार गलियों में शुरू हो चुका है. तो वहीं, महासमसान मणिकर्णिका घाट पर बने ऊंचे मचान पर बने 10 चूल्हों पर दाह संस्कार किया जा रहा है.
चंदौली में गंगा नदी उफान पर दर्जनों गावों मे घुसा पानी :
वाराणसी से सटे चंदौली में भी गंगा नदी उफान पर है. गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिसके चलते तटवर्ती इलाकों के लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांवों में पानी घुसने लगा है. नियमताबाद, चहनियां और धानापुर ब्लाक के दर्जनों गांव गंगा के बाढ़ के पानी के चपेट में आ गए हैं और बाढ़ का पानी अब गलियों में घुसने को बेकरार है.
बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से तमाम तैयारियां की जा रही हैं. बाढ़ चौकियों को एक्टिवेट कर दिया गया है और राजस्व विभाग की टीमें लगातार भ्रमण कर रही हैं. यही नहीं जिला अधिकारी और आला अफसर भी बाढ़ प्रभावित इलाकों का लगातार दौरा कर रहे हैं और हालात पर नजर रख रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि अगर गंगा का जलस्तर इसी गति से बढ़ता रहा तो बहुत जल्द चंदौली के कई दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाएगा.
इटावा में चंबल और यमुना के जलस्तर बढ़ने से आधा सैकड़ा गांव प्रभावित:
इटावा जनपद चंबल नदी और यमुना नदी क्षेत्र से सटा हुआ है. इस समय वर्तमान में चंबल नदी उफान पर है. खतरे का निशान 120 पॉइंट पर है. लेकिन इस वक्त चंबल नदी 8 मीटर ऊपर 129 पॉइंट पर बह रही है. इतना अधिक पानी बढ़ने से जनपद की चकरनगर तहसील और बढ़पुरा का क्षेत्र प्रभावित हो गया है. चकरनगर तहसील के अंतर्गत लगभग तीन दर्जन गांव बाढ़ से प्रभावित है. जिनमें दो दर्जन गांव की अंदर घनी बस्तियों में पानी प्रवेश कर गया है और लगभग पानी की ऊंचाई 7 से 8 फुट की ऊंचाई पर बह रहा है.
जिला प्रशासन लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सुविधाएं पहुंचाने के दावे कर रहा है. पूरी तरह से आवागमन बंद हो चुका है. चंबल नदी में लगातार कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यह स्थिति बन गई है कि 3 दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में बुरी तरह से प्रभावित हैं. थाना भरेह क्षेत्र के अंतर्गत जिनमें ककराई, भरेह, नीमाडांडा, हडौली, अमदापुर, चकरपुरा, धर्मपुरा, बहादुरपुर सहित अन्य गांव के अंदर गलियों में पानी भर गया हैं. इन सभी गांव की हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है जिनमें बाजरा की फसल, तिल, अरहर की फसल नष्ट हो गई है. मुख्यालय से संपर्क मार्ग डूबने से क्षेत्र के लोग अलग हो गए हैं.
औरैया में 15 गांव में बाढ़ का पानी :
औरैया जिले में बाढ़ की स्थिति भयावह बनी हुई है, जहां 15 गांव बाढ़ की चपेट में आए हुए हैं. जिसमें गांव में पानी भर चुका है जहां से लोगों को बाढ़ चौकियों पर स्थापित किया गया है. प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बराबर नजर रखी जा रही है, जहां उनके लिए खाद्य सामग्री बराबर मुहैया कराई जा रही है. दो तरीके से खाद्य सामग्री कराई जा रही है कच्ची और पक्की पक्की सामग्री में उन्हें पका हुआ भोजन भिजवाया जा रहा है और जो लोग फंसे हुए हैं उनको NDRF टीम के द्वारा स्वरछित बाहर निकाला जा रहा है. वहीं, बाढ़ की चपेट में 15 गांव की खेती बिल्कुल तबाह हो चुकी है.
मिर्जापुर बाढ़ का कहर, दर्जनों गांव प्रभावित:
मिर्जापुर में गंगा के बाढ़ का पानी दर्जनों गांवों में घुसने लगा है. गंगा खतरे के निशान के करीब बह रही है. बाढ़ कि वजह से सदर तहसील और चुनार तहसील के दर्जनों गांव प्रभावित है. जहां बाढ़ के पानी की गांवों में घुसने से लोगों की मुसीबत बढ़ गई है. सदर तहसील में मुजेहरा कला, मुजेहरा खुर्द, हरसिंगपुर और मल्लेपुर गांव सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित हैं.
बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान गंगा के तराई में खेती करने वाले किसानों को उठाना पड़ा है. ग्रामीण राजकुमार का कहना है कि लाखों रूपये की सब्जियो की फसल बाढ़ की चपेट में आकर बर्बाद हो चुकी है.
जालौन बाढ़ का रौद्र रूप, दर्जनों गांव में घुसा बाढ़ का पानी:
जालौन इस समय भयानक बाढ़ की चपेट में है. यमुना के साथ पहुज और सिंध नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. लोग ऊंचे इलाकों में तंबू लगाकर दिन रात काट रहे हैं. सैकड़ों बीघा फसल के साथ किसानों के अरमान भी पानी में वह गए. हालात ये है कि बाढ़ के खौफ के साये में रातें कट रही और लोग गांव से पलायन कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे है.
सरकारी मदद और सर्वे लगातार जारी है.बाढ़ में फसे लोगो को एन डी आर एफ की टीमें लगातार मद्दत के साथ सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है. बाढ़ का आलम यह है कि गांव दर्जनों गांव दिखाई नहीं दे रहे. अब ऊंचाई पर बसे गांवों में पानी ने आना शुरू हो गया है. हालांकि अभी तक किसी का जानी नुकसान होने की कोई खबर नही आई है. बाढ़ के रौद्र रूप देखकर प्रशासन की नींद उड़ी हुई है. पीड़तों के पास हर संभव मदत पहुंचने के लिए प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है.
हमीरपुर में यमुना और बेतवा खतरे के निशान के पार:
UP के हमीरपुर जिले में बीते 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए बाढ़ की विभीषिका ने भारी तबाही मचाई हुई है. यमुना और बेतवा नदियां खतरे के निशान से चार-चार मीटर ऊपर बह कर भारी तबाही मचा रही है. यहां बाढ़ तो हर साल आती है. लेकिन बीते 40 सालों के दौरान जिस जिस इलाके में पानी नहीं घुसा था आज वहां पानी भर गया.
यमुना ने इतना विकराल रूप लिया कि तटबंध के ऊपर से ओवरफ्लो हो गई और पानी भीतर ही भीतर बस्तियों को जलमग्न करता हुआ बेतवा में जा मिला. वहीं, बेकाबू हुआ पानी नेशनल हाइवे के ऊपर से गुजर रहा है. जिसके साथ ही हमीरपुर में हैवी वाहनों का प्रवेश निषेध कर दिया गया है. प्रशासन ने मुनादी कराते हुए लोगों से ऊँचे इलाकों में जाने की अपील की है.
(प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव, वाराणसी से रोशन जायसवाल,मिर्जापुर से सुरेश सिंह, जालौन से अलीम सिद्दीकी, इटावा से अमित तिवारी, हमीरपुर से नाहिद अंसारी और औरैया से सूर्या शर्मा के इनपुट के साथ)
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