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गोरखपुर की नालियों में बहते कीचड़ भी सोना उगलते हैं.
गोरखपुर में कचड़ों से मिलने वाले सोने को बेचकर 100 से अधिक परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं.
गोरखपुर के घंटाघर स्थित सोनारपट्टी में हर रोज कचड़ों में बहता सोना पाया जाता है.
सिर्फ घंटाघर ही नहीं बल्कि ऐसी बहुत सी जगह है, जहां सोने के जेवरात की कारीगिरी करने वाली सैकड़ों दुकाने हैं.
इन जगहों पर कारीगिरी करते वक्त सोने को छोटा-मोटा कण अक्सर छिटककर गायब हो जाता है.
साथ ही काम करने के दौरान औजार आदि में भी छोटे कण चिपक जाते हैं, जो कि बाद में धुलाई के दौरान एसिड में मिल जाते हैं.
बाद में कारीगर भी इन कणों को वापस खोजने पर कभी ध्यान नहीं देते और एसिड भी फेंक देते है, जो कि बहकर नाली में चला जाता है.
यह इतना छोटा होता है कि इसे दोबारा खोजना मुश्किल ही नहीं बल्कि सामान्य लोगों के लिए नामुमकिन होता है.
ऐसे में शहर के सैकड़ों डोम जाति के लोग रोज सुबह इन दुकानों के बाहर के कचड़ों को इक्कठा करते हैं.
यह लोग इसके बाद इन कचड़ों को एक तसले में रखकर नाली के ही गंदे पानी से इसे चालते हैं.
इस दौरान घंटों तक कचड़े को चालते रहते हैं और इसमें से खराब कचड़े को ऊपर से निकालते हैं.
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