ज्ञानवापी विवाद के मुख्य पैरोकार और वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी 1991 के वरशिप एक्ट का हवाला दे रहे हैं. दरअसल वह जानते ही नहीं या फिर जानकर अनजान बन रहे हैं.
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उस वरशिप एक्ट में किसी भी ढांचे की धार्मिक स्वरूप के छेड़छाड़ पर रोक लगाई गई है और ज्ञानवापी मस्जिद का धार्मिक स्वरूप हमेशा से मंदिर का रहा है. AAJ TAK से खास बातचीत में वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि 1990 तक ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा होती रही है.
हरिशंकर जैन ने बताया कि ज्ञानवापी के चारों तरफ देवी देवताओं की तब तक पूजा होती रही जब तक मुलायम सिंह के जमाने में इसे लोहे से नहीं घेर दिया गया. आज भी व्यास परिवार के पास ज्ञानवापी के नीचे जो मंदिर के तहखाने हैं या जो मूल मंदिर है उसका न सिर्फ अधिकार है बल्कि पूजा पाठ का अधिकार भी उन्हीं के पास है.
1991 के वरशिप एक्ट के नाम पर हम अपने मंदिरों को लेने की लड़ाई नहीं छोड़ सकते. हमारे एजेंडे में सिर्फ बाबा विश्वनाथ या ज्ञानवापी ही नहीं बल्कि मथुरा भी है, कुतुब मीनार भी है, ताजमहल भी है और मध्यप्रदेश का भोजशाला भी है. चाहे जितना वक्त लगे हम यह लड़ाई लड़ते रहेंगे.
वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में यह दूसरी बार सर्वे हो रहा है. पहली बार 1996 में हुआ था और उस दौरान भी कोर्ट के आदेश के बावजूद यह सर्वे पूरा नहीं हो पाया, लेकिन उसकी रिपोर्ट अदालत को दी गई.
पिछले सर्वे में जितनी चीजें खासकर मंदिर से जुड़े जो प्रतीक चिन्ह मिले थे वह अब खत्म किए जा रहे हैं. धीरे-धीरे प्रतीक चिन्हों को तथाकथित मस्जिद से साफ किया गया है. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं ताकि मंदिर का चिन्ह नहीं दिखाई दे.
बाहर से किए गए इस सर्वे में भी हमें मंदिर के तमाम प्रतीक चिन्ह मिले हैं. दो बड़े-बड़े स्वास्तिक के चिन्ह ज्ञानवापी की दीवारों पर मिले. खंडित मूर्तियों के अवशेष मिले हैं. कई पत्थरों पर भगवान की उकेरी हुई प्रतिमा मिली है और साथ-साथ मंदिर का पूरा स्वरूप इसकी दीवार पर हमें मिला है.
जब ज्ञानवापी के भीतर सर्वे होगा तो मंदिर के तमाम साक्ष प्रतीक चिन्ह वहां मौजूद है हमें पूरा यकीन है कि हम इस बार इस सर्वे पूरा कर पाएंगे. हरिशंकर जैन ने कहा कि हम इस बार अदालत में मजबूती से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और हर हाल में बाबा विश्वेश्वर नाथ को मुक्त करा कर ही दम लेंगे.
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