यूपी के हमीरपुर जिले (Hamirpur News) में खाद के लिए मारामारी चल रही है. इस समय किसान खाद के लिए लंबी जद्दोजहद करते दिखाई दे रहे हैं. किसान दो बजे रात से ही खाद वितरण केन्द्रों के सामने लंबी-लंबी लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं. यह सोचते हुए कि उनका नंबर जल्दी आ जाए और उन्हें खाद मिल जाए. किसानों का कहना है कि बाजार में खाद की कीमत डेढ़ सौ रुपये ज़्यादा है, इसलिए मजबूरन उन्हें इतनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
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हमीरपुर जिला, जो खेती किसानी पर आधारित जिला है. यहां सिंचाई के उचित बंदोबस्त ना होने की वजह से किसान साल में सिर्फ खरीफ और रवि की मात्र दो फसल ही पैदा कर पाता है और कभी-कभी समय से पानी ना बरसने या अतिवृष्टि की वजह से खरीफ की फसल भी बर्बाद हो जाती है. जैसा कि इस साल भी हुआ है. यहां समय से बारिश ना होने की वजह से इस साल खरीफ की फसल नहीं बोई जा सकी थी.
कुछ किसान जिनके पास सिंचाई का बंदोबस्त था, उन्होंने फसल बोई तो वह अतिवृष्टि और बाढ़ की भेंट चढ़ कर बर्बाद हो गई. ऐसे में किसान मात्र रवि की फसल के भरोसे ही रह गया है. साथ ही धन का अभाव होने की वजह से किसान सरकारी खाद वितरण केन्द्रों से ही खाद खरीदने को मजबूर हैं, जहां उन्हें लंबी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
आज यानी रविवार को सुबह 6 बजे सरकारी खाद वितरण केन्द्रों में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है. यहां मौदहा कसबे में सहकारी क्रय विक्रय समिति के सामने सैकड़ों की तादात में किसान लंबी-लंबी लाइन में खड़े दिखाई दिए, जिसमें तमाम महिला किसान भी शामिल थीं.
किसानों से जब बात की गई तो किसान बसंत, प्रेम चन्द्र, रामसरन, शकील अहमद सहित अन्य किसानों ने बताया कि वितरण केंद्र तो 10 बजे खुलता है, लेकिन नंबर जल्दी आ जाए. इसकी वजह से कोई दो बजे रात से ही लाइन में खड़ा है तो कोई पांच बजे से.
शकील अहमद ने बताया कि वह बीते दिन भी लाइन में खड़े-खड़े लौट गए थे, क्योंकि सर्वर प्रॉब्लम होने की वजह से खाद का वितरण नहीं हो सका था. इस साल सितंबर और अक्टूबर महीनों में भारी बरसात से खेतों में पानी भर जाने से बुआई पिछड़ गई है और अब जब खेत फसल बोने लायक हुए हैं, तब खाद नहीं मिल पा रही है जिससे किसानों के सामने भारी संकट पैदा हो गया है.
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