उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव का ऐलान होते ही यूपी के एक और अफसर ने खाकी छोड़ खादी पहनने का ऐलान कर दिया. कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने वीआरएस लेकर भाजपा ज्वॉइन कर ली है. चर्चा है कि असीम अरुण कन्नौज की सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
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1994 बैच के आईपीएस अधिकारी असीम अरुण मूलतः कन्नौज के रहने वाले हैं. उनके पिता स्व. श्री राम अरुण उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे और प्रदेश के तेजतर्रार आईपीएस अफसरों में गिने जाते थे.
लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से शुरुआती शिक्षा देने के बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से असीम अरुण ने बीएससी की. अपने पिता के सपनों को पूरा करते हुए उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की और आईपीएस बन गए.
वह यूपी में हाथरस, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, आगरा, अलीगढ़ और गोरखपुर में बतौर एसपी तैनात रहे. केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान असीम अरुण पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी में भी तैनात किए गए. असीम अरुण मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात एसपीजी के क्लोज प्रोटेक्शन टीम के चीफ रहे.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार आई तो असीम अरुण यूपी एटीएस के IG बनाए गए. मार्च 2017 में आईएसआईएस आतंकी सैफुल्ला को लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में एक सफल ऑपरेशन के बाद मार गिराया.
असीम अरुण ने एटीएस में स्पेशल वेपन एंड टैक्टिक्स टीम यानी SWAT टीम का गठन किया. किसी भी आतंकी और खतरनाक मिशन को अंजाम देने के लिए यूपी पुलिस की स्वाट टीम तैयार की गई.
लंबे समय तक एटीएस के बाद 112 के एडीजी रहे असीम अरुण को कानपुर में कमिश्नरेट लागू करने के बाद पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया.
अब असीम अरुण ने अपने फेसबुक पेज पर जीवन की नई पारी की शुरुआत का ऐलान किया है. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है,
“आपको यह अवगत कराना चाहता हूं कि मैंने वीआरएस के लिए आवेदन किया क्योंकि अब राष्ट्र और समाज की सेवा एक नए रूप में करना चाहता हूं. मैं गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं कि माननीय योगी आदित्यनाथ जी ने मुझे भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता के योग्य समझा.”
उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में बाबा साहब अंबेडकर को भी याद किया और लिखा, “मैं प्रयास करूंगा कि महात्मा गांधी द्वारा दिए तिलिस्म, कि सबसे कमजोर और गरीब व्यक्ति के हितार्थ हमेशा कार्य करूं. आईपीएस की नौकरी और अब यह सम्मान, सब बाबा साहब अंबेडकर द्वारा अवसर की समानता के लिए रचित व्यवस्था के कारण ही संभव है.”
असीम अरुण अपनी पोस्ट के आखिर में खाकी को छोड़ने के दर्द को भी लिखते हैं, “केवल एक ही कष्ट है अपनी अलमारी के सबसे सुंदर वस्त्र अपनी वर्दी को अब नहीं पहन सकूंगा, अपने साथियों से विदा लेते हुए मैं वचन देता हूं कि वर्दी के सम्मान के लिए हमेशा सबसे आगे खड़ा मिलूंगा. आपको मेरी ओर से एक जोरदार सैलूट. जय हिंद.”
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