लखीमपुर खीरी हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को लाभ दिया जा रहा

संजय शर्मा

• 07:35 AM • 08 Nov 2021

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर 2021 को कथित तौर पर किसानों को कुचलकर मारने की घटना से जुड़े केस पर एक बार फिर…

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लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर 2021 को कथित तौर पर किसानों को कुचलकर मारने की घटना से जुड़े केस पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही है. सोमवार को सुनवाई के दौरान जब यूपी सरकार का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है, तो चीफ जस्टिस ने कहा कि आपकी स्टेटस रिपोर्ट ऐसी नही है जैसा हमने कहा था. इसमें कुछ नया नहीं है.

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इतना ही नहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को 2 एफआईआर में ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है. आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपियों में से एक हैं. किसान संगठनों का आरोप है कि आशीष मिश्रा के काफिले ने किसानों को गाड़ियों से कुचल दिया.

सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में कुछ नहीं है. सिर्फ ये बात है कि कुछ और लोगों की गवाही हो रही है. हमने आपको और समय दिया था. दूसरे मुद्दों पर क्या हुआ? मोबाइल टावर से मोबाइल डेटा का क्या हुआ? मोबाइल फोन को लेकर क्या किया? उनको ट्रैक करने के लिए क्या किया? आशीष मिश्रा और गवाहों के फोन के अलावा आपने किसी का फ़ोन ट्रैक नही किया.’

कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि कहा कि आप कहना चाहते है कि किसी अन्य आरोपी के पास मोबाइल नही था? बाकी आरोपियों के सीडीआर डिटेल कहां है? इसपर साल्वे ने जवाब दिया कि सीडीआर हमारे पास है. इस संबंध में जस्टिस सूर्यकांत ने दो FIR में चल रही जांच पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘अब कहा जा रहा है कि दो FIR हैं. एक FIR में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे. एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि दो FIR से एक विशेष आरोपी को बचाने की कोशिश हो रही है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच कर रही SIT दोनों FIR के बीच अंतर नही कर पा रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में एक जज हाई कोर्ट के नियुक्त करना चाहते है ताकि दोनों FIR के बीच अंतर होकर मामले की जांच हो. कोर्ट ने पंजाब हाई कोर्ट के पूर्व जज रंजीत सिंह और राकेश कुमार का नाम सुझाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हम किसी दूसरे हाईकोर्ट के रिटायर जज को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करेंगे. दोनों FIR की अलग- अलग जांच हो. अलग- अलग ही चार्जशीट दाखिल हो. किसी तरह का घालमेल ना हो.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हम मामले की जांच में निष्पक्षता और स्वतंत्रता चाहते हैं. इसलिए चार्जशीट दाखिल होने तक एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की नियुक्ति करना चाहते हैं.’ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पत्रकार रमन कश्यप की मौत कार से कुचलकर हुई. पहले कंफ्यूजन था कि क्या वो आशीष मिश्रा की टीम का हिस्सा था, लेकिन बाद में पता लगा कि वो भीड़ का हिस्सा थे और कार से कुचले गए. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इसलिए हमें निगरानी की जरूरत है.

हम राजनीतिक रंग नहीं जोड़ना चाहते: सुप्रीम कोर्ट

इस मामले में यूपी सरकार का पक्ष रख रहे साल्वे ने दलील दी कि जो कुछ भी हो रहा है उसके राजनीतिक रंग भी हैं. इस पर CJI ने तुरंत टिप्पणी की कि, ‘हम राजनीतिक रंग नहीं जोड़ना चाहते. एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसकी निगरानी करने दें.’ सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को रिटायर हाईकोर्ट जज का नाम सुझाने को कहा है. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 12 नवंबर को करेगा.

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