Mukhtar Ansari: वक्त हर किसी का बदला है. राजा कब रंक बन जाए और रंक कब राजा बन जाए, ये कोई नहीं जानता. कुछ ऐसा ही माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के साथ हुआ है. दरअसल माफिया मुख्तार कानून के शिकंजे में ऐसा फंसा है कि अब उसे भी अपने चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा है. कुछ ऐसा ही कल यानी गुरुवार को देखने को मिला. दरअसल जब एक बार फिर गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया तो ये माफिया डॉन तनाव में आ गया और अपने दोनों आंखों से हाथों को बंद करके नीचे की तरफ गिर गया.
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इसके बाद जेल प्रशासन द्वारा मुख्तार अंसारी को फौरन तनहाई बैरक में शिफ्ट कर दिया गया. मगर इस दौरान भी वह काफी परेशान और तनाव में दिखा. बैरक में भी उसका यही हाल रहा. हैरत की बात ये है कि ये वहीं माफिया मुख्तार अंसारी है, जिसके इशारों पर यूपी की कानून व्यवस्था हिल जाती थी और जो खुद को कानून से बड़ा समझने लगा था. आज वह कानून के शिकंजे में काफी बुरी तरह से फंस चुका है.
तनहाई बैरक में काट रहा तन्हा जिंदगी
आपको बता दें कि कल यानी 26 अक्टूबर को गाज़ीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दे दिया. उसे गैंगस्टर मामले में दोषी करार दे दिया गया. जैसे ही कोर्ट ने मुख्तार को दोषी करार दिया, वैसे ही माफिया मुख्तार गिड़गिड़ाते हुए ‘जज साहब-जज साहब’ बोलता रहा. इस दौरान उसने दोनों हाथों से अपनी आंखें बंद कर ली और सिर निचे करके वह गिर गया. इसके बाद वह एकदम चुप हो गया और ऐसी ही बैठा रहा.
जेल सूत्रों के मुताबिक, पूरी रात वह बेचैनी से बैरक में टहलता रहा. बता दें कि आज यानी शुक्रवार को कोर्ट मुख्तार की सजा पर फैसला देगा. माफिया मुख्तार अब जेल में बेचैनी भरे दिन काटने को मजबूर है.
जेल में मुख्तार को खाने हैं कुरकुरे
आपको यह भी बता दें कि कोर्ट में पेशी के दौरान मुख्तार ने बीमार होने के साथ-साथ जेल प्रशासन पर इलाज ना कराने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही उसने जेल में फल और कुरकुरे की भी डिमांड की थी. मगर बांदा जेल प्रशासन ने उसकी मांगों को खारिज कर दिया. जेल प्रशासन नियम के मुताबिक ही मुख्तार को सुविधाए दे रहा है.
जेल अधीक्षक ने ये बताया
जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने UP Tak को जानकारी देते हुए बताया, “मुख्तार की गाजीपुर कोर्ट में पेशी थी. कोर्ट के आदेश के क्रम में जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी कराई गई. कोर्ट ने दोषी करार देते हुए शुक्रवार को फैसला देने का आदेश दिया है. दोषी होने के दौरान मुख्तार टेंशन में आ गया. उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आंखों को बंद किया और नीचे की तरफ गिर गया. इसके बाद वह चुपचाप बैठ गया. पेशी के बाद उसको बैरक में शिफ्ट कराया गया.
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