प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपीएल) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने कहा कि ‘बहू’ डिंपल यादव (Dimple Yadav) के फोन कॉल ने उन्हें मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में उन्हें उनके प्रचार के लिए प्रेरित किया.
ADVERTISEMENT
शिवपाल ने यह भी कहा कि उन्होंने डिंपल यादव से कह दिया है कि अगर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने फिर से उनके साथ कुछ गलत किया तो वह (डिंपल) उनकी गवाह बनें.
समाजवादी पार्टी (सपा) सरंक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के कारण रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव को लेकर अखिलेश और शिवपाल यादव एक बार फिर साथ नजर आ रहे हैं. शिवपाल यादव जगह-जगह घूमकर बहू डिंपल यादव के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. सपा ने इस सीट पर अखिलेश की पत्नी और मुलायम की पुत्रवधू डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है.
भतीजे अखिलेश के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच पीएसपीएल प्रमुख ने मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल यादव की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक बार फिर हाथ मिलाने पर सहमति जताई है.
इस सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव करते रहे हैं. मतदाताओं को सपा उम्मीदवार के लिए सक्रिय होने के बारे में बताते हुए शिवपाल ने कहा कि यह डिंपल का फोन था जिसने रिश्तों के बीच की तल्खी को खत्म कर दिया.
शिवपाल ने मैनपुरी में शु्क्रवार को एक नुक्कड़ बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत में कहा,”जब बहू (डिंपल) लड़ रही है, तो हम एक हो गए. हम तो कहते थे एक हो जाओ, हमने अखिलेश से कह भी दिया है कि अब एक ही रहेंगे.”
उन्होंने कहा,”बहू (डिंपल) ने टेलीफोन किया कि चाचा हम लड़ेंगे, आ जाओ. तो हमने कहा कि तुम गवाह रहना हमारी. अगर अखिलेश गड़बड़ करें तो हमारे साथ ही रहना. अब हम साथ ही रहेंगे.” उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी परिवार की युवा पीढ़ी को अब राजनीति में आगे बढ़ाएगी.
शिवपाल ने कहा,”अब हम लोगों के पास समय कितना है, एक-दो चुनाव और लड़ेंगे, फिर लड़के ही लड़ेंगे. इसलिए अब हमारी भी प्रतिष्ठा का सवाल है. नेता जी (मुलायम सिंह) के न रहने पर हमारी भी प्रतिष्ठा का सवाल है. इसलिए हमारी आप सब लोगों से हाथ जोड़कर विनती है कि सब लोग आज के बाद चुनाव प्रचार में लग जाना.” कार्यकर्ताओं के साथ इस बातचीत का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
जसवंतनगर विधानसभा सीट मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहां से शिवपाल छह बार के विधायक हैं. ऐसे में शिवपाल यादव का समर्थन उपचुनाव जीतने के लिहाज से समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे समाजवादी पार्टी के रघुराज सिंह शाक्य से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
परिवार में दरार का फायदा उठाने के लिए सत्तारूढ़ दल भाजपा द्वारा शाक्य को मैदान में उतारा गया, क्योंकि वह (शाक्य) शिवपाल के पूर्व वफादार हैं.
छह साल पहले अलग होने के बाद चौथी बार अखिलेश और शिवपाल के बीच हाल ही में हुआ मेलजोल मायने रखता है, क्योंकि दोनों 2016 से एक-दूसरे के साथ एक तल्ख रिश्ते को ढो रहे थे.
शिवपाल ने वर्ष 2018 में अपनी खुद की पार्टी पीएसपीएल बनाई और वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव फिरोजाबाद से सपा के खिलाफ लड़ा.इस साल के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने शिवपाल के साथ गठबंधन तो किया, लेकिन उन्हें केवल एक सीट जसवंतनगर दी, जहां से शिवपाल यादव ने सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर चुनाव लड़ा था.
हालांकि, नतीजों के बाद दोनों के रिश्तों में एक बार फिर खटास आ गई और शिवपाल राष्ट्रपति चुनाव में खासतौर पर सत्तारूढ़ भाजपा का साथ देते नजर आए. शिवपाल ने जहां सपा में अपनी उपेक्षा को रिश्ता टूटने का कारण बताया, वहीं अखिलेश कई मौकों पर इसके लिए चाचा की भाजपा से मिलीभगत को उजागर कर चुके हैं.
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके प्रतिनिधित्व वाली मैनपुरी सीट पर उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना आठ दिसंबर को होगी.
ये थे वो गजब के नारे जिन्होंने हमेशा बढ़ाया ‘नेताजी’ मुलायम सिंह यादव का सियासी कद
ADVERTISEMENT