मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मथुरा जिला सिविल कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया है. कोर्ट 19 मई को अपना फैसला सुनाएगा.
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इस बीच, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर ट्वीट कर कहा , “मथुरा के शाही ईदगाह का सर्वेक्षण कराने का कोर्ट का आदेश पूजा स्थल अधिनियम 1991 का खुला उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों के बदलाव पर रोक लगाता है. अयोध्या (राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद केस) फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अधिनियम भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है, जो संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है.”
उन्होंने एक अगले ट्वीट में कहा, “दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है. इस आदेश से कोर्ट 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के दौरान हुए मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है.”
हालांकि, कोर्ट ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया है.
बता दें कि श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है. याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है. याचिका में अदालत की निगरानी में विवादित जगह की खुदाई करने की मांग भी गई है.
याचिकाकर्ता ने कहा, “खुदाई की एक जांच रिपोर्ट पेश की जाए, क्योंकि याचिकाकर्ताओं का दावा है कि जिस जगह पर ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी, उसी जगह पर तब के राजा कंस का मूल ऐतिहासिक कारागार मौजूद है, जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. लिहाजा वहां अगर खुदाई कराई जाएगी तो यह बात साबित हो जाएगी. इतिहास में भी वहां केशव देवजी के टीले के नीचे विशाल विष्णु मंदिर होने का जिक्र दर्ज है. मुगल काल में तत्कालीन बादशाह औरंगजेब ने फरमान जारी कर उस मंदिर को ढहा कर वहां ईदगाह बनाने का हुक्म दिया था. इतिहास के दस्तावेज भी इस दावे की पुष्टि के लिए दिए गए हैं.”
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