मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह को लेकर गुरुवार को सुनवाई टल गई है. बता दें कि मथुरा श्री कृष्ण स्थान ईदगाह बाद मामले में आज एडीजे 6 की अदालत में सुनवाई होनी थी. न्यायालय में व्यस्तता के चलते गुरुवार को इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकी. वादी महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट के बाद मामले में आज 7/11 रूल पर सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था. लेकिन न्यायालय में व्यस्तता के चलते आज इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकी. अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.
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मामले की जानकारी देते हुए महेंद्र प्रताप सिंह के एडवोकेट ने बताया कि पिछली सुनवाई के दौरान बहस पूरी हो चुकी थी. आज इस मामले में कोर्ट को अपना निर्णय सुनाना था . लेकिन कोर्ट की व्यस्तता के चलते आज मामले में सुनवाई नहीं हो सकी.
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद काफी पुराना है. विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी. दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद हाईकोर्ट भी पहुंच गया था.
बता दें कि मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में आती है. कानून के अनुसार, “किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने के लिए प्रदान करने के लिए एक अधिनियम, जैसा कि अगस्त 1947 के 15 वें दिन मौजूद था, और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए.”इस मामले में अब तक 13 मुकदमे विभिन्न अदालतों में दाखिल हुए थे, जिनमें दो मुकदमे खारिज भी हो चुके हैं.
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