मधुमिता हत्याकांड के मुख्य आरोपी अमरमणि त्रिपाठी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हाल ही में जेल से रिहा हुए अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ अब बस्ती जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है. ये वारंट 22 साल पुराने एक अपहरण केस को लेकर जारी हुआ है.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 22 साल पहले एक व्यापारी के बेटे के अपहरण में अमरमणि त्रिपाठी सहित 3 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद लगातार उन्हें समन पर समन न्यायालय द्वारा भेजा जा रहा था, लेकिन अमरमणि बीमारी का बहाना बनाकर कोर्ट में पेश नहीं हुए. जिसके चलते सोमवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के जज ने उनके खिलाफ सख्त रूख अपनाया. उन्होंने बस्ती के एसपी को यह आदेश दिया कि हर हाल में अमरमणि को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए, ताकि कोर्ट की आगे की कार्रवाई की जा सके. ऐसे में अब अमरमणि त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 5
एमपी-एमएलए कोर्ट ने एसपी को साफ निर्देश दिया है कि वारंट को तामील कराने और अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के लिए विशेष टीम का गठन करें.
साथ ही अपहरण केस में गैरहाजिर दूसरे आरोपियों- नैनी शर्मा, शिवम उर्फ रामयज्ञ को फरार घोषित करने का आदेश भी पुलिस को दिया है. अब पुलिस को अमरमणि को एक नवंबर को कोर्ट में पेश करना होगा. अमरमणि इस मामले में पिछले 22 साल से फरार है.
व्यापारी के बेटे का अपहरण, MLA के घर से बरामदगी
मालूम हो कि जिस केस में अमरमणि को वारंट जारी हुआ है वो केस 2001 का है. उस वक्त बस्ती कोतवाली क्षेत्र में व्यापारी धर्मराज गुप्ता के बेटे का अपहरण कर लिया गया था.
बाद में व्यापारी के बेटे को तत्कालीन विधायक अमरमणि के लखनऊ स्थित घर से बरामद किया गया था. इस मामले में अमरमणि समेत आधा दर्जन से ज्यादा लोग आरोपी बनाए गए थे.
मामले में विशेष शासकीय अधिवक्ता ने बताया था कि 6 दिसंबर 2001 को कोतवाली क्षेत्र के गांधीनगर निवासी धर्मराज गुप्ता के पुत्र राहुल का अपहरण हुआ था. पुलिस ने एक हफ्ते बाद तत्कालीन विधायक अमरमणि के लखनऊ आवास से राहुल को बरामद किया था. गौरतलब है कि अमरमणि त्रिपाठी 25 अगस्त को ही मधुमिता हत्याकांड में जेल की सजा काटकर बाहर आया है.
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