भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्रवाई जारी है. पीडब्ल्यूडी विभाग में तबादलों में हुई अनियमितता व नियम विरुद्ध हुए फैसलों पर मंगलवार को सरकार ने फिर एक्शन लिया. सोमवार को विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से हटाने के बाद पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष व प्रमुख अभियंता (विकास) मनोज कुमार गुप्ता, प्रमुख अभियंता (परि./नियो.) राकेश कुमार सक्सेना, व वरिष्ठ स्टॉफ ऑफिसर (ई-2) शैलेन्द्र कुमार यादव को भी निलंबित कर दिया गया है.
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इनके साथ ही लोकनिर्माण विभाग के अन्य कार्मिकों पंकज दीक्षित प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्थापन ‘घ’ वर्ग व संजय कुमार चौरसिया प्रधान सहायक, व्यवस्थापन ‘घ’ वर्ग के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए निलंबन की कार्रवाई की गई है.
गौरतलब है कि लोकनिर्माण विभाग में वर्तमान स्थानांतरण में अनियमितता की शिकायतें शासन को मिली थीं. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने इन शिकायतों पर प्रभावी कदम उठाते हुए 12 जुलाई को तीन सदस्यीय एक टीम गठित थी. जिसमें एपीसी मनोज सिंह एसीएस, गन्ना एवं आबकारी, संजय भूसरेड्डी और एसीएस, नियुक्ति और कृषि, देवेश चुतर्वेदी शामिल थे. जांच समिति द्वारा 16 जुलाई को जांच रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की गई थी.
ध्यान देने वाली बात है कि मामले में पहली गाज पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी अनिल कुमार पांडे पर गिरी है. सचिवालय प्रशासन विभाग ने कल उन्हें कार्यमुक्त कर मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने के आदेश जारी कर दिए हैं. पांडे के खिलाफ सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है.
यूपी में चिकित्सकों के तबादले में हुई गड़बड़ियों के बाद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के तबादले में भी गड़बड़ी का मामला सामने आया था. लोक निर्माण विभाग में 350 से अधिक इंजीनियरों का तबादला हुआ था. पीडब्ल्यूडी के करीब 200 अधिशासी अभियंताओं और डेढ़ सौ से अधिक सहायक अभियंताओं का तबादला किया गया है. इसको लेकर भी शिकायतें आई थीं. लोक निर्माण विभाग में 3 साल पहले अमृत इंजीनियर और कई इंजीनियरों का एक से अधिक जिले में तबादले का मामला सामने आया था. तबादलों की अंतिम तारीख जहां सभी विभागों के लिए 30 जून थी, वहीं लोक निर्माण विभाग में 10 जुलाई कर दी गई.
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