धरती पर ऐसे कई रहस्य छुपे है जिसपर दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही रहस्य छुपा है उत्तर प्रदेश में राबर्ट्सगंज में.राबर्ट्सगंज जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर मौजूद है दुनिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क है. लगभग 25 हेक्टेयर में फैला हुआ यह फॉसिल्स पार्क अमेरिका के येलोस्टोन पार्क से भी काफी बड़ा है. वैज्ञानिकों ने इसकी उम्र लगभग 140 करोड़ वर्षा आंकी है. यह फॉसिल्स समुद्र की तलहटी में पाए जाते थे पर समय के साथ इन पर कार्बन जमता गया. यह कितने महत्वपूर्ण हैं इस बात से समझा जा सकता है कि यह जीवन की शुरुआत की कहानी को बयां करते हैं.
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7 दिसंबर 2002 को दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिकों ने यहां का भ्रमण किया और इसे दुनिया के लिए अमूल्य धरोहर बताया. देखते ही देखते पूरा सलखन क्षेत्र भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया.
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जान आर्डेन ने 1933 में इसकी खोज किया. इसके बाद यह भविष्य के गर्त में चला गया.जिसे दोबारा उठाया यहां के पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने. 18 अगस्त 2002 को तत्कालीन जिलाधिकारी भगवान शंकर ने सोनभद्र फॉसिल्स पार्क के रूप में इसकी स्थापना की. वर्तमान डीएम ने इस महत्वपूर्ण धरोहर को सहेजने के साथ-साथ इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. साथ ही साथ इस अमूल्य धरोहर को विश्व हेरिटेज में शामिल करने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है.
सोनभद्र मे पाए जाने वाले फॉसिल्स जीवन की उत्पत्ति और मानव सभ्यता की कहानी को बयां करते हैं. यहां मौजूद फॉसिल्स को देख कर ये अनुमान लगाया जा सकता है कि पृथ्वी की संरचना में सबसे पहले पानी था. उसके बाद वनस्पति और जीव-जंतुओं ने जन्म लिया होगा. करोड़ों साल पहले इस क्षेत्र में समुंद्र था. इनसे ये भी जानकारी मिलती है कि प्रकृति में जो परिवर्तन हुए इन्हें देखकर समझा जा सकता है. साथ ही साथ इनसे सूर्य के परिक्रमा पथ की गणना की जा सकती है. वर्तमान जिला अधिकारी डॉ चंद्र विजय सिंह ने इस अमूल्य धरोहर को सहेजने का काम तेज कर दिया है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने शासन को प्रस्ताव भेजा है. साथ ही साथ इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने का प्रयास भी तेज कर दिया है.
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