भारतीय राजनीति में नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार को निधन हो गया. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम स्थित मेदांता में आखिरी सांस ली.
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मुलायम जमीन से जुड़े नेता थे, इस कारण उन्हें ‘धरतीपुत्र’ भी कहा जाता है. राजनीति में जमीन से जुड़े होने के कारण एक तरफ उनके समर्थकों की संख्या बढ़ती जा रही थी तो वहीं दूसरी तरफ वह राजनीतिक विरोधियों के आंखों में खटकने लगे थे. एक वक्त तो ऐसा आया कि मुलायम पर जानलेवा हमला तक हुआ. 38 साल पहले मुलायम पर 9 गोलियां चलाई गई थीं. हालांकि, इस हमले में उनकी जान बाल-बाल बच गई थी.
ऐसा कहा जाता है किृ मुलायम पर यह हमला कांग्रेस पार्टी के एक नेता के इशारे पर किया गया था. दरअसल, जब मुलायम पर यह हमला हुआ तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. हमले के दौरान मुलायम लोक दल के नेता हुआ करते थे और उस समय वह विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी थे.
कैसे हुआ था मुलायम पर हमला?
8 मार्च, 1984 को दैनिक अखबार जनसत्ता में छपी खबर के मुताबिक,
“4 मार्च को लोकतांत्रिक मोर्चा के यूपी इकाई के अध्यक्ष और विधान-परिषद् में विपक्ष के नेता मुलायम सिंह यादव पर जानलेवा हमला किया गया. बाइक पर सवार दो लोगों छोटेलाल और नेत्रपाल ने हमला किया था. मुलायम सिंह की गाड़ी के आगे ये लोग बाइक लेकर चल रहे थे. बाइक चलाने वाले छोटेलाल को मौके पर ही मार गिराया गया जबकि नेत्रपाल गंभीर रुप से घायल है. हमले के वक्त मुलायम सिंह मैनपुरी जिला स्थित कुर्रा पुलिस स्टेशन के माहिखेड़ा गांव से इटावा वापस लौट रहे थे.”
“यादव ने संवाददाताओं से कहा कि वह 2 मार्च के बाद से इटावा जिले के दौरे पर हैं और सार्वजनिक बैठकों में भाग ले रहे हैं. 4 मार्च को 5 बजे के आस-पास उन्होंने इटावा और मैनपुरी के बॉर्डर पर स्थित झींगपुर गांव में लोगों को संबोधित करने के बाद वो माहीखेड़ा गांव में अपने एक दोस्त से मिलने गए थे. मैनपुरी से वो लगभग 9.30 बजे निकले और मुश्किल से 1 किलोमीटर दूर तक ही चले होंगे उन्हें अपनी गाड़ी के आगे गोलियों की आवाज सुनाई देने लगी.”
“ड्राइवर ने देखा कि आगे चल रहे दो बाइक सवार गाड़ी के सामने कूद पड़े और फायरिंग शुरु कर दी. मुलायम सिंह के साथ चल रहे पुलिसवालों ने जवाबी फायरिंग की. हमलावरों और पुलिसकर्मियों के बीच ये फायरिंग करीब आधे धंटे तक चली. हमलावरों के तरफ से गोलीबारी बंद होने के बाद सुरक्षाकर्मी मुलायम सिंह को एक जीप में 5 किलोमीटर दूर कुर्रा पुलिस स्टेशन तक लेकर गए.”
“गोली लगने से छोटेलाल की मौके पर ही मौत हो गई थी. वो एक प्राइमरी स्कूल टीचर था और मुलायम सिंह के साथ ही चल रहा था. नेत्रपाल को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मुलायम सिंह की कार पर 9 गोलियों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. सभी गोलियां गाड़ी के उसे हिस्से में चलाई गई थी जिधर नेता जी अक्सर बैठते हैं.”
अपने ऊपर हमले पर मुलायम ने क्या कहा था?
हमले के बाद मुलायम सिंह ने किसी का नाम लिए बिना कहा था, ‘ये उनकी हत्या करने की सोची-समझी साजिश थी और उन्हें भगवान ने ही बचाया है. मुझे कुछ दिन पहले बताया गया था कि मुझ पर जानलेवा हमला हो सकता है. लेकिन मैंने उसपर ध्यान नहीं दिया था.’
मुलायम पर इस जानलेवा हमले का आरोप तत्कालीन विकास मंत्री और कांग्रेस नेता बलराम सिंह यादव के समर्थकों पर लगा था.
मुलायम पर हमले को लेकर इटावा के तत्कालीन लोक दल अध्यक्ष महाराज सिंह ने कहा था कि सत्ता में बैठी कांग्रेस अपराधियों की मदद से अपनी राजनीति करना चाहती है.
साल 2017 में जब यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलायम पर इस हमले वाली घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि अखिलेश ने उस पार्टी से हाथ मिलाया है, जिसने कभी उनके पिता पर हमला कराया था.
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