दुकाननुमा ‘अस्पताल’ में चल रहा डेंगू का इलाज! देखिए UP में स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत

यूपी तक

• 10:24 AM • 09 Sep 2021

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वेक्टर जनित बीमारियों मसलन डेंगू व अन्य वजहों से हो रहे बुखार का भयानक असर फैला हुआ है. फिरोजाबाद और मथुरा…

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वेक्टर जनित बीमारियों मसलन डेंगू व अन्य वजहों से हो रहे बुखार का भयानक असर फैला हुआ है. फिरोजाबाद और मथुरा जैसे जिलों में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. वायरल बुखार ने यूपी की एक बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले लिया है. वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो ये आम इंसान को चिढ़ाती नजर आ रही हैं. यूपी तक आपको लगातार यूपी में बुखार से बिगड़ते हालात की तस्वीर दिखा रहा है. आज हम आपको कासगंज से खास ग्राउंड रिपोर्ट दिखा रहे हैं. यहां आधिकारिक तौर पर 5 मौतें बताई जा रही हैं. पर यहां के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का जो हाल हमें मिला, उसे देख यही कहा जा सकता है कि सब भाग्य भरोसे ही चल रहा है. पढ़िए आशुतोष मिश्रा की यह खास रिपोर्ट…

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एसीएमओ कासगंज डा. अविनेंद्र सिंह बताते हैं कि जिले में पांच मौते हो चुकी हैं. पटियाली तहसील क्षेत्र में, वायरल फीवर मलेरिया था, और एक विकलांग की मौत हुई है, जिसमें एक महिला शामिल है. बचाव को लेकर नगर पालिका और नगर पंचायत, ग्रामीण क्षेत्रों में छिड़काव और फॉगिंग कराई जा रही है. प्रशासन के दावों की असल पड़ताल कासगंज के ग्रामीण इलाकों में होती है.

कासगंज का सोरो बाजार: झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे लोग

बुखार के प्रकोप की पड़ताल के लिए हम कासगंज के ग्रामीण इलाकों की ओर बढ़े। मजबूरी, बेबसी और सरकार की निष्क्रियता लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे छोड़ चुकी है। सोरों प्रमुख बाज़ार पर कई कथित डॉक्टरों की दुकानें मिल जाएगी जहां बुखार से ग्रस्त लोगों को लिक्विड फ्लूइड सलाइन के जरिए चढ़ाया जा रहा है। पास के गांव जलालपुर से आए मदन की पत्नी को भी बुखार ठीक करने के लिए लिक्विड चढ़ाया जा रहा है। दूसरे मरीजों को भी दवाइयां इंजेक्ट की जा रही हैं, लेकिन डॉक्टर क्लीनिक से नदारद थे। डॉक्टर की जगह जो शख्स मौजूद था उसने कहा डॉक्टर साहब कहीं चले गए हैं। छोटी सी जगह में तीन से चार मरीजों का एक साथ इलाज चल रहा है। किसी को प्लेटलेट गिरने की शिकायत है तो किसी को तेज बुखार। बड़े शहरों की ओर या निजी अस्पतालों तक न पहुंच पाने वाले गांव की गरीब आबादी इन्हीं डॉक्टरों के भरोसे छोड़ दी गई है।

सोरों बाज़ार में एक किनारे दुकान चला रहे खुद को बीएएमएस डॉक्टर बताने वाले डॉ मुकेश कहते हैं कि बच्चों की संख्या ज्यादा है जिनमें बुखार की शिकायत है और हर दिन बड़ी संख्या में लोग बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं। एक मरीज उन्हें बुधवार को ऐसा भी मिला जिसमें प्लेटलेट गिरने की आशंका है और सैंपल इकट्ठा करके आगे भेजा जा रहा है। डॉ मुकेश कहते हैं कि वह आयुर्वेदाचार्य हैं और उन्हें कुछ एलोपैथिक दवाइयां देने की अनुमति है।

झोलाछाप भी मान रहे कि अस्पताल नहीं दुकान है

कासगंज इलाके के एक दूसरे कस्बे में आपको लिए चलते हैं। अगर मैं कहूं कि यहां डॉक्टर नहीं बल्कि इलाज की दुकान चल रही है तो यह बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं है। खुद को डॉक्टर कहने वाले झोलाछाप डॉक्टर मलखान ने भी कह दिया कि हां यह दुकान है अस्पताल या क्लीनिक नहीं। चारों और मरीजों का ढेर है और सबके हाथ में सलाइन की बोतल लगी हुई है। मलखान ने बताया कि वह डॉक्टर नहीं हैं. इसके बावजूद लोगों का इलाज कर रहे हैं. हर किसी को डीएनएस नाम का मेडिकल फ्लोएड इंजेक्ट कर दिया है.

ऐसी दुकानों पर जान जोखिम में डालकर अपना इलाज करवाने के लिए क्यों विवश है ग्रामीण आबादी? स्थानीय लोगों से जब हमने बात की तो उनका कहना है कि निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं. सरकारी अस्पतालों में सुनवाई होती नहीं. जान बचानी है तो करें तो क्या करें। संतोष कुमार अपने बेटे का इलाज करवा रहे हैं और कहते हैं कि पास के सरकारी अस्पताल में गया था लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई इसलिए बच्चे को बचाने यहां ले आए।

स्थानीय लोगों के आरोपों की पड़ताल करने के लिए हम सोरों इलाके के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे. आमतौर पर मरीजों की भीड़ यहां दिखाई पड़ी. लेकिन सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों का बयान ग्रामीणों के आरोपों के विपरीत है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ओपीडी में मरीजों को देखने वाले डॉक्टर अमित का कहना है कि हाल ही में एक मरीज ऐसा आया था जो निजी अस्पताल में इलाज करवा रहा था. उसे आगे इलाज के लिए रेफर करना पड़ा. डॉ अमित का कहना है कि कई बार लोग ऐसे डॉक्टरों से इलाज करवा कर स्थिति बदतर होने के बाद ही सरकारी केंद्रों तक पहुंच रहे हैं. डॉक्टर अमित कहते हैं कि हर दिन 100 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं और उसमें ज्यादातर बुखार से पीड़ित हैं जिनको यहां से दवा दी जाती है.

सोरों के बाद अब आपको गणेशपुर लिए चलते हैं. हाल-फिलहाल में यहां कुछ मौतें हुई हैं, लेकिन प्रशासन के मुताबिक गणेशपुर में सिर्फ एक मृत्यु ऐसी थी, जिनमें ns1 पॉजिटिव पाया गया था और जिसे बुखार की शिकायत थी. गंजडुंडवारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ मुकेश कुमार के मुताबिक यहां एक मृत्यु ऐसी दर्ज हुई है, जिसमें बुखार के लक्षण थे जबकि इलाके में बुखार से पीड़ितों के लिए स्वास्थ्य केंद्र गांव-गांव में चलाए जा रहे हैं ताकि पीड़ितों की टेस्टिंग हो सके और दवा मिल सके. डॉक्टर के मुताबिक यहां हालात नियंत्रण में है और प्रशासन की तैयारियां पूरी हैं.

स्थानीय लोगों ने डॉक्टर के बयान पर सवाल खड़े कर दिए. लोगों का कहना है कि यहां कई घरों में बुखार पीड़ित लोग हैं और इलाज ना मिल पाने के चलते या तो अलीगढ़ जाना पड़ रहा है या फिर आगरा भेजे गए हैं. गांव में कुछ लोग मेडिकल रिपोर्ट लेकर हमारे कैमरे के सामने आ गए. कुछ रिपोर्ट ऐसी भी मिलीं, जिसमें डेंगू एंटीजन टेस्ट के जरिए पॉजिटिव दिखाया गया. हमने चिकित्सा अधिकारी डॉ मुकेश कुमार से सवाल किया, तो उन्होंने कहा एंटीजन टेस्ट के बाद कंफर्मेशन टेस्ट करना जरूरी है. उसके बाद ही कह सकते हैं कि डेंगू है या नहीं.

आरिफ नाम के शख्स एक रिपोर्ट लेकर हमारे पास आए और उन्होंने कहा कि आगरा में उनके परिवार के सदस्य का डेंगू का इलाज चल रहा है. मेडिकल रिपोर्ट जब डॉक्टर मुकेश कुमार ने देखी, तो उन्होंने कहा इसके डिस्चार्ज पेपर में सिर्फ वायरल बुखार दर्ज किया गया है जबकि डेंगू की इसमें कोई रिपोर्ट है ही नहीं. इलाज के लिए आरिफ गणेशपुर से आगरा चले गए थे. अस्पताल के डिस्चार्ज पेपर पर सिर्फ वायरल लिखा है जबकि अस्पताल ने उन्हें डेंगू कहा और उसी का इलाज किया.

सन्ने खान का बेटा भी अपने पिता का टेस्ट करवा कर आया है. सन्नी खान के बेटे ने बताया कि पास के डॉक्टर ने कहा कि उनके पिता को डेंगू है. कैमरे पर उन्होंने पैथालॉजी की रिपोर्ट और एंटी जन किट पर n s वन पॉजिटिव भी दिखा दिया. चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि इस टेस्ट के बाद कंफर्मेशन टेस्ट के लिए एलाएज़ा करना जरूरी होता है. उसके बाद ही यह कह सकते हैं कि डेंगू है या नहीं. चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि निजी लैब को अगर एंटीजन टेस्ट में डेंगू आता है तो उन्हें कंफर्मेशन टेस्ट करना होगा और बताना होगा कि डेंगू है या नहीं.

गांव के नदीम कुमार बताते हैं कि हालत इस कदर खराब है कि कई घरों के बच्चे कासगंज से बाहर दूसरे शहरों में इलाज करवा रहे हैं. नदीम के मुताबिक 25 से 30 लोग पीड़ित है, जिसमें 12 से ज्यादा लोगों का इलाज बाहर चल रहा है। अव्यवस्था के नाते गांव वालों में इस कदर पैनिक है उन्हें लगता है कि यह सब कुछ डेंगू ही है।

गणेशपुर में लगा है स्वास्थ्य विभाग का कैंप

महामारी ने विकराल रूप लेना शुरू किया तो स्वास्थ्य विभाग ने अब गांव-गांव चिकित्सा कर्मियों की टीम भेजनी शुरू कर दी है, जो टेस्टिंग भी कर रहे हैं और दवाइयां भी दे रहे हैं। गणेशपुर में कैंप लगा दिया गया है. डॉक्टर आरबी सिंह का कहना है कि बुधवार से शुरू हुए कैंप में दोपहर तक 70 लोगों के टेस्ट हो चुके हैं लेकिन किसी में भी डेंगू या मलेरिया कंफर्म नहीं हुआ जबकि बुखार की शिकायत ज्यादातर लोगों में है. उन्हें दवाइयां दी जा रही हैं.

पैथोलॉजी लैब में भी चल रही है ठगी गणेशपुर के लोगों को नजदीक के जिस पैथोलॉजी लैब ने एंटीजन टेस्ट के जरिए डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट दी है, हमने वहां भी छानबीन की. चिकित्सा अधिकारी डॉ मुकेश कुमार के संग हमारी भी टीम पहुंची. पैथोलॉजी लैब में एक एंटीजन डेंगू पॉजिटिव किट मिली. यहां काम करने वाले मैनेजर ने तो कह दिया कि जब एंटीजन में कोई पॉजिटिव आता है तो कंफर्मेशन टेस्ट किया जाता है लेकिन हकीकत कुछ और मिली.

कागजों में डाटा एंट्री में भी गड़बड़ी है तो टेस्टिंग को लेकर नियमों में भी हेरफेर. चिकित्सा अधिकारी ने जब पूछा कि जिन लोगों को 6 सितंबर को एंटीजन पॉजिटिव टेस्टिंग रिपोर्ट दी गई उनकी फाइनल टेस्टिंग क्यों नहीं हुई तो लेबोरेटरी कर्मचारी ने कहा कि शायद पीड़ित कहीं और चले गए होंगे. लेबोरेटरी में मौजूद सैंपल पर जब चिकित्सा अधिकारी की नजर पड़ी तो उन्होंने पूछा कि एलाइजा टेस्टिंग की रिपोर्ट कहां है तो लेबोरेटरी कर्मचारी ने कहा कि इन की जांच करवाई जाएगी जब सैंपल देने वाले आ जाएंगे. टेस्टिंग की अनियमितता तो छोड़ दीजिए कागज पर एंट्री देखकर सर चकरा जाएगा. पैथोलॉजी लैब वाले अलग ही गणित अपना चुके है. एक पन्ने पर एक से लेकर 32 की गिनती है तो दूसरे पन्ने पर 34 से लेकर 64 तक. कहते हैं बीच की गिनती हम नहीं रखते. चिकित्सा अधिकारी ने हमें यह आश्वासन दिया कि इस मामले में अब जांच की जाएगी और अगर यह दोषी पाए गए तो लैबोरेट्री सील की जाएगी.

कैमरा देख भागा झोलाछाप डॉक्टर

झोलाछाप डॉक्टरों की इतनी भरमार है कि पूछिए मत। चिकित्सा अधिकारी के साथ यूपी तक का कैमरा जब एक और झोलाछाप डॉक्टर के दरवाजे पर पहुंचा तो वह मरीजों को अंदर बंद करके भाग गया। भला हो माता जी का जिन्होंने यह कहा कि उनकी बहू अंदर इलाज करवा रही है लेकिन दरवाजा बंद कर दिया गया है.

यूपी तक की ग्राउंड रिपोर्ट में यह साफ दिखा कि कासगंज के ग्रामीण इलाकों की हालत खराब है. निजी लैब वाले उन्हें ठग रहे हैं और सरकारी व्यवस्था के उनतक न पहुंचने का आरोप है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने डोर टू डोर स्क्रीनिंग का निर्देश दे रखा है. लेकिन ग्राउंड पर मौजूद सिस्टम इसे लेकर कुछ खासा गंभीर नजर नहीं आ रहा.

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