प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) के बाद अतीक अहमद परिवार पर पुलिस का शिकंजा कस चुका है. इस बीच आईपीएस अमिताभ यश का नाम एक बार फिर चर्चा में है. अतीक अहमद की बहन ने प्रयागराज में प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलेआम आरोप लगाया है कि एसटीएफ चीफ अमिताभ यश उनके भाइयों का एनकाउंटर करा सकते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर अमिताभ यश कौन हैं, जिनकी वजह से अतीक अहमद के परिवार की नींद उड़ी हुई है? कौन हैं वो आईपीएस अधिकारी अमिताभ यश जिसका नाम सुनकर अतीक और अशरफ जेल से बाहर नहीं आना चाहते और परिवार गुहार लगा रहा कि दोनों जेल से बाहर निकाले तो अमिताभ यश एनकाउंटर कर देंगे?
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उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और बेटों का नाम आया तो अतीक अहमद की पत्नी ने मुख्यमंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई. आशंका जताई कि एडीजी एसटीएफ उनके बेटों का और पति का एनकाउंटर कर देंगे.आपको बता दें कि अमिताभ यश 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं, जिनको एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है.
बिहार के रहने वाले हैं अमिताभ यश
बिहार में भोजपुर जिले के रहने वाले अमिताभ यश पिता भी आईपीएस थे. उनके पिता राम यश सिंह बिहार कैडर में आईपीएस अफसर रहे. अमिताभ यश ने बचपन से ही थाने चौकी में पुलिस और पुलिस की अपराधियों से निपटने की दुश्वारियां को करीब से देखा और समझा. यही वजह थी कि दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब अमिताभ यश ने यूपीएससी की परीक्षा पास तो खाकी पहनी और आईपीएस बने. अमिताभ यश का बतौर कप्तान पहला जिला संतकबीरनगर रहा. संत कबीर नगर में लगभग 11 महीने एसपी रहे. इसके बाद बाराबंकी महाराजगंज, हरदोई, जालौन, सहारनपुर, सीतापुर, बुलंदशहर, नोएडा से लेकर कानपुर जैसे बड़े महानगर में अमिताभ यश बतौर एसपी और एसएसपी तैनात रहे.
ददुआ और ठोकिया जैसे दस्युओं को मार गिराने का श्रेय
मई 2007 में जब तक प्रदेश में मायावती की सरकार आई तो अमिताभ यश को एसएसपी एसटीएफ बनाया गया. इस दौरान अमिताभ यश ने ददुआ के खिलाफ बुंदेलखंड के जंगलों में अभियान छेड़ दिया. अमिताभ यश महीनों अपनी टीम के साथ जंगलों में कैंप करते रहे और जिसका नतीजा था यूपी एसटीएफ ने ददुआ जैसे दुर्दांत डकैतों को मार गिराया. ददुआ को मारकर जा रही टीम पर ठोकिया ने हमला किया तो एसटीएफ का जश्न मातम में बदल गया. अगले ही दिन से ऑपरेशन ठोकिया शुरू हुआ और ठोकिया को भी अमिताभ यश की टीम ने मार गिराया.
चित्रकूट के जंगलों में जहां डकैतों का निकला फरमान ही प्रधान से लेकर विधायक और सांसद बनाता था, उस डकैतों से मुक्त कराने का श्रेय अमिताभ यश के भी खाते में जाता है.
उत्तर प्रदेश में कचहरी सीरियल ब्लास्ट हुए तो मायावती सरकार ने एटीएस का गठन किया और अमिताभ यश को एसटीएफ के साथ एसएसपी एटीएस का भी चार्ज दिया. एसएसपी एटीएस रहते अमिताभ यश ने उत्तर प्रदेश से सिमी और हूजी के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया और रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले के आरोपियों को गिरफ्तार किया. मई 2007 से जुलाई 2009 तक अमिताभ यश एसएसपी एसटीएफ और अक्टूबर 2009 तक एटीएस के एसएसपी रहे.
एसटीएफ से हटने के बाद अमिताभ यश एसएसपी नोएडा, डीआईजी कानपुर के साथ डीआईजी रेंज चित्रकूट, आईजी गोरखपुर जोन रहे. मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो 2 महीने बाद ही मई 2017 में एसटीएफ का आईजी बनाया गया. जनवरी 2021 में आईजी से एडीजी के पद पर प्रमोशन हुआ तो अमिताभ यश एडीजी एसटीएफ बनाए गए. यानी बीते 5 साल 10 महीने से अमिताभ यश एसटीएफ को संभाल रहे और इस दौरान एसटीएफ ने 50 से ज्यादा दुर्दांत अपराधी इनामी बदमाश डकैतों को मार गिराया.
अकेले अमिताभ यश ने डेढ़ सौ से ज्यादा बदमाशों को अपने करियर में ढेर किया.अमिताभ यश ने इस दौरान उत्तर प्रदेश से मुख्तार, अतीक गैंग के तमाम शार्प शूटरों को ढेर किया. ऐसा माना जाता है कि अमिताभ यश ने पेपर लीक कराने वाले गैंग से लेकर डार्क वेब से नशीली दवाओं की तस्करी करने वाले गैंग तक शिकंजा कसा. कानपुर के बिकरू में 8 पुलिसकर्मियों की जान लेने वाले विकास दुबे और उसके गैंग को अमिताभ यश की टीम ने ही ढेर किया.
यूपी के आयुष प्रवेश घोटाले, टीईटी पेपर लीक मामला, पशुपालन घोटाला या फिर हालिया कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक के कथित भ्रष्टाचार का मामला, इन चर्चित मामलों का खुलासा और आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने का काम अमिताभ यश ने किया.
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