UP News: यूपी में बड़े पैमाने पर भ्रष्ट अफसर और नेताओं की कमाई को ठेकेदारों के जरिए जमीनों के धंधे में लगाए जाने की खबर है. बुधवार को कानपुर-लखनऊ से लेकर नोएडा-दिल्ली में हुई इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी में अब तक कुछ ऐसी ही कहानी सामने आई है. बुधवार को इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की तो करोड़ों की जमीन की खरीद-फरोख्त के ऐसे दस्तावेज मिले, जिनमें बड़े पैमाने पर कैश की डील हुई थी. फिलहाल विभाग 2 बड़े ठेकेदारों और उनकी फर्म से जुड़े लोगों के ठिकानों से मिले दस्तावेजों को खंगाल रहा है.
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बता दें कि बुधवार को इनकम टैक्स विभाग ने लखनऊ, कानपुर, दिल्ली और नोएडा समेत 22 ठिकानों पर छापेमारी की. दरअसल बीते जून महीने में इनकम टैक्स विभाग ने डिप्टी डायरेक्टर इंडस्ट्रीज राजेश सिंह यादव के ठिकाने पर छापेमारी की थी.
छापेमारी में विभाग को उत्तर प्रदेश के उद्यमिता विकास संस्थान व प्रशिक्षण संस्थान को मशीनरी सप्लाई करने वाली फर्म गोल्डन बास्केट के दस्तावेज मिले. बता दें कि गोल्डन बास्केट के मालिक अंकित मंगलानी और प्रतिभा यादव हैं. इनकम टैक्स विभाग को राजेश यादव और गोल्डन बास्केट के ठिकानों से कुछ ऐसे दस्तावेज मिले, जिनकी पड़ताल के बाद बुधवार को इनकम टैक्स विभाग ने कानपुर से लेकर नोएडा और दिल्ली में कुल 22 ठिकानों पर छापेमारी की.
सूत्रों की मानें तो राजेश यादव ने बड़े पैमाने पर अपनी कमाई का हिस्सा गोल्डन बास्केट में लगाया था. गोल्डन बास्केट की छापेमारी में विभाग को कुछ ठेकेदारों के भी नाम जानकारी में आए हैं, जिनके जरिए जमीनों की खरीद-फरोख्त हो रही थी. बुधवार को इनकम टैक्स विभाग में कानपुर के ऐसे ही दो ठेकेदार राजू चौहान और देशराज कुशवाहा के घरों पर छापेमारी की. इतना ही नहीं लखनऊ में भी एक रियल एस्टेट के कारोबारी के घर पर इनकम टैक्स विभाग ने रेड की, तो पता चला देशराज कुशवाहा ने लगभग ढाई सौ करोड़ से ज्यादा की जमीनों को कम दाम में दिखाकर खरीदा था और इस खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर कैश डील हुई थी.
चर्चा है कि देशराज कुशवाहा ने पिछली सरकार के एक कद्दावर मंत्री के पैसों से ही रियल एस्टेट के कारोबार की शुरुआत की थी. दावा किया जा रहा है जगजीत चौहान और देशराज कुशवाहा ने मिलकर उत्तर प्रदेश के हर बड़े शहर में जमीनों की खरीद-फरोख्त का गड़बड़झाला फैलाया था और इस खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर कैश डील हुई थी.
ऐसे है भ्रष्ट अफसरों का जमीनों की खरीद-फरोख्त वाले ठेकेदारों से कनेक्शन-
बीते जून महीने में डिप्टी डायरेक्टर इंडस्ट्रीज राजेश यादव से पहले मार्च महीने में लखनऊ के सरोजनी नगर से उद्यमिता विकास संस्थान के अफसर डीपी सिंह की कार से 30 लाख रुपये भी बरामद हुए थे. इनकम टैक्स विभाग ने तभी से जांच शुरू की और अब बुधवार को हुई छापेमारी के बाद साफ हुआ कि भ्रष्ट अफसर पहले अपनी काली कमाई को छिपाने के लिए किसी फर्म को फाइनेंस कर रहे हैं. फिर उस फर्म को करोड़ों के सरकारी काम दिए जा रहे हैं और वह फार्म राजू चौहान, देशराज कुशवाहा जैसे कई अन्य ठेकेदारों व प्रॉपर्टी डीलरों की मदद से औने पौने दाम में जमीनों को खरीद रही है.
जमीनों की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर कैश डील हो रही है. बाजार भाव से कम कीमत में जमीन खरीदी जा रही हैं. इस तरह से भ्रष्ट अफसरों के फ्रेंड को Re Route कराकर रियल एस्टेट में निवेश कराया जा रहा है.
ऐसी एक फर्म भी इनकम टैक्स विभाग की जांच के दायरे में है. हालांकि फर्म ने बुधवार को हुई छापेमारी से इनकार कर दिया है. इनकम टैक्स विभाग मार्च में डीपी सिंह, जून में राजेश यादव और अब अगस्त महीने में राजू चौहान, देशराज कुशवाहा के ठिकानों से मिले दस्तावेजों के आधार पर काली कमाई को खपाने के इस नए तरीके पर निगाह गड़ाए हुए है. जानकारी मिल रही है कि अब प्रदेश के कुछ बड़े अफसर और ठेकेदार और उनसे जुड़ी अन्य फर्म भी आईटी के रडार पर हैं.
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