UP: डिप्टी एसपी को डिमोट कर बनाया इंस्पेक्टर, जानें वो नियम जिसके तहत सरकार ऐसा कर सकती है

संतोष शर्मा

• 08:38 AM • 02 Nov 2022

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में पदावनात करते हुए सब इंस्पेक्टर बना…

UPTAK
follow google news

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में पदावनात करते हुए सब इंस्पेक्टर बना दिया है. अब सवाल ये उठता है कि क्या किसी अधिकारी के साथ दंड के तहत ऐसा हो सकता है क्या? क्या इंस्पेक्टर से प्रमोट होकर डिप्टी एसपी बने अधिकारी को दंड देकर वापस इंस्पेक्टर बनाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कार्रवाई किस नियम के तहत की और पुलिस में भ्रष्टाचार या अन्य शिकायतों के मिलने पर किस तरीके की कार्रवाई की जा सकती हैं आइए जानते हैं उस नियम को डिटेल में.

यह भी पढ़ें...

रामपुर में डिप्टी एसपी रहे विद्या किशोर शर्मा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नजीर पेश करने वाली कार्रवाई करते हुए डिप्टी एसपी से वापस सब इंस्पेक्टर बना दिया है. मुख्यमंत्री ने डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा को उनके मूल पद पर डिमोट कर दिया है. ध्यान देने वाली बात है कि विद्या किशोर शर्मा पीएसी में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे.

इस नियम के तहत हुई कार्रवाई

विद्या किशोर शर्मा पर उत्तर प्रदेश शासन ने यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस दंड अपील एवं पुनरीक्षण नियमावली 1993 के तहत की है. इस नियमावली के तहत पुलिसकर्मियों को दो तरह के दंड दिए जाते हैं. एक लघु दंड और दूसरा दीर्घ दंड.

यहां जानें लघु दंड क्यों और कैसे दिया जाता है?

लघु दंड में पुलिसकर्मी के कैरेक्टर रोल पर मिसकंडक्ट लिख दिया जाता है. जिससे उसको भविष्य में तैनाती और प्रमोशन में मुश्किलें आती हैं. इस मामले में मिसकंडक्ट पाने वाला पुलिसकर्मी सीनियर अफसर के यहां अपील करता है. उस पर सुनवाई के बाद मिसकंडक्ट काटी जा सकती है. यानी ये परमानेंट दंड नहीं होता है.

यहां जानें दीर्घ दंड की पूरी डिटेल

दीर्घ दंड तीन प्रकार होते हैं. पहला बर्खास्तगी यानी पुलिस सेवा से ही बर्खास्त कर दिया जाए. दूसरा डिमोशन यानी आरोपी पुलिसकर्मी की पदावनती और तीसरा वेतन वृद्धि पर रोक.

डीमोशन के हैं दो नियम, जानें

दीर्घ दंड में डिमोशन यानी पदावनति के लिए भी दो नियम हैं. एक पुलिसकर्मी को एक पद नीचे डिमोट कर दिया जाए. यह डीमोशन भी एक समय अवधि के लिए ही किया जाता है. उसके बाद वापस पद पर भेज दिया जाता है. दूसरा, पुलिसकर्मी को मूल पद यानी जिस पद पर भर्ती हुआ उस पर हमेशा के लिए डिमोट कर दिया जाए. रामपुर के डिप्टी एसपी रहे विद्या किशोर शर्मा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मूल पद इंस्पेक्टर पर ही डिमोट करने का आदेश दिया है. ये दंड हमेशा के लिए है.

तीसरा पनिशमेंश- वेतन वृद्धि पर रोक

तीसरा दंड, वेतन कम पर पदावनती यानी 3 साल या एक समय अवधि के लिए पुलिसकर्मी का इंक्रीमेंट रोक दिया जाता है. ऐसे में वह एक स्केल नीचे वेतन पर 3 साल या उल्लेखित समय अवधि तक काम करेगा.

उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड आईपीएस आरके चतुर्वेदी का कहना है कि यह सरकार का विशेष अधिकार है कि वह किसी भी पुलिसकर्मी को उत्तर प्रदेश पुलिस दंड अपील पुनरीक्षण नियमावली में 1993 के तहत दंड दे सकती है.

जानिए वो कौनसा मामला था जिसकी ऐसी सजा मिली कि सीओ से सिपाही बना दिए गए विद्या किशोर शर्मा

    follow whatsapp