उत्तर प्रदेश के वाराणसी, बलिया समेत कई जिलों में अब बाढ़ (flood in UP) का पानी कम होने लगा है और संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि राहत और बचाव के लिए पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही है.
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केंद्रीय जल आयोग (central water commission) के अनुसार वाराणसी (floods in varanasi) में अब गंगा और वरुणा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है और दोनों नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का पानी अब कम होने लगा है.
वाराणसी में गंगा के जलस्तर में कमी आने के बाद संबंधित क्षेत्रों से पानी कम होना शुरू हो गया है. वरुणा पार के भी कई रिहायशी इलाकों से पानी निकल गया है, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन इसके साथ ही बाढ़ के पानी के साथ आये गाद और गंदगी की सफाई और उससे फैलने वाली संक्रामक बीमारियों से लोगों में भय व्याप्त है.
वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉक्टर संदीप चौधरी ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित इलाकों में जगह-जगह कीचड़ और जल जमाव से संक्रामक रोग न फैले इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है.
सीएमओ ने बताया कि संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कार्रवाई तेज कर दी गयी है. उन्होंने कहा कि जल जमाव वाले स्थानों पर मच्छरजनित बीमारी डेंगू, मलेरिया आदि के फैलने की आशंका अधिक होती है लिहाजा बाढ़ से प्रभावित रहे सभी क्षेत्रों में एंटी लार्वा का छिड़काव करने के साथ ही नगर निगम के सहयोग से फॉगिंग भी करायी जा रही है.
जिला मलेरिया अधिकारी एस सी पाण्डेय ने बताया कि एंटी लार्वा के छिड़काव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डूडा से 15 कर्मियों को मांगा है, जो विभिन्न इलाकों में एंटी लार्वा का छिड़काव कर रहे हैं.
प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार बलिया जिले में गंगा नदी के जलस्तर में गिरावट के बाद जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक रोगों का प्रसार रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है.
बलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जयंत कुमार ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गंगा नदी के जलस्तर में गिरावट के बाद जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक रोगों का प्रसार रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है.
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की 76 टीमें तैनात की गई है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गंदगी के कारण कोई अनहोनी न हो, इसके लिए गांव एवं नगरीय क्षेत्र में फॉगिंग और अन्य कार्य कराया जा रहा है.
बलिया जिला प्रशासन के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रभारी पीयूष सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा गठित स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 5347 लोगों का उपचार किया गया है और 3743 ओआरएस पैकेट और 19779 क्लोरीन गोली का वितरण किया गया है.
जालौन में प्रवाहित होने वाली यमुना और बेतवा नदियों का जलस्तर पूरी तरह घट जाने से बाढ़ का प्रकोप पूरी तरह खत्म हो गया है. अब बाढ़ के कारण संक्रामक एवं स्किन की बीमारियां फैलने की प्रबल संभावना है और इसको रोकने के लिए जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है.
जिलाधिकारी चांदनी सिंह ने बताया कि जिले में बाढ़ का प्रकोप पूरी तरह समाप्त हो गया है और नदियों में सामान्य रूप से जल प्रवाहित हो रहा है लेकिन बाढ़ के कारण संक्रामक रोगों का खतरा बना रहता है.
उन्होंने कहा कि बीमारियों की रोकथाम के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आवश्यक कार्यवाही के लिये निर्देशित किया गया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डीएल शर्मा ने बताया कि बाढ़ के कारण मच्छर पैदा होते हैं और इन सब के बचाव के लिए बाढ़ प्रभावित गांवों में मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव, प्रदूषित पानी को स्वच्छ बनाने के लिए क्लोरीन की गोलियां बांटी जा रही है.
हमीरपुर से मिली खबर के अनुसार बाढ़ के बाद जैसे-जैसे नदियों का जल स्तर घट रहा है वैसे-वैसे लोगों की स्थिति भी सामान्य होती जा रही है. बीते कुछ दिनों से जिले में बाढ़ की वजह से जो हालात बने हुए थे अब उनमें सुधार हुआ है और लोग अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं.
जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ पीड़ितों को कोई समस्या न हो इसलिए उनको समय समय पर राहत सामग्री भी उपलब्ध करायी जा रही है.
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