नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में यूपी सचिवालय के निजी सचिव समेत 3 गिरफ्तार

सत्यम मिश्रा

• 03:43 PM • 26 Jul 2022

बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर उत्तर प्रदेश सचिवालय के निजी सचिव द्वारा कथित तौर पर ठगी करने का मामला सामने आया है.…

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बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर उत्तर प्रदेश सचिवालय के निजी सचिव द्वारा कथित तौर पर ठगी करने का मामला सामने आया है. आरोप है कि निजी सचिव अपने दो साथियों के साथ मिलकर बेरोजगार नौजवानों को नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठता है.

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मामला तब संज्ञान में आया जब सचिवालय के निजी सचिव द्वारा जारी किए गए फर्जी नियुक्ति पत्र को लेकर कई युवक नौकरी ज्वाइन करने पहुंचे. जहां सचिवालय के कर्मचारियों ने बताया कि इस तरीके का कोई नियुक्ति पत्र यहां से जारी नहीं किया गया. जिसके बाद बेरोजगार युवकों ने मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद यूपी एसटीएफ इसकी जांच-पड़ताल कर रही है.

वहीं इस मामले में एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि नौकरी दिलाने के नाम पर सचिवालय के कर्मी विजय कुमार मंडल एक गिरोह बनाकर काम करता था और फिर बेरोजगार युवकों को झांसा देकर उनके साथ ठगी किया करता था. अब तक करोड़ों रुपये की ठगी सचिवालय के निजी सचिव विजय कुमार द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर की जा चुकी है.

दीपक सिंह ने बताया कि लखनऊ के दारुलशफा तिराहे पर निजी सचिव विजय कुमार मंडल को उसके 2 साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया.

एसटीएफ की पूछताछ में विजय कुमार ने बताया कि उसकी मुलाकात धर्मवीर सिंह नाम के व्यक्ति से लखनऊ के बंदरिया बाग स्थित वीवीआइपी गेस्ट हाउस पर हुई थी. इसके बाद दोनों मिलने लगे. एक दिन धर्मवीर सिंह ने बताया कि उसके पास कुछ बेरोजगार लड़के हैं और नौकरी की तलाश कर रहे हैं.

धर्मवारी ने आगे कहा कि मैं उन लड़कों को लेकर आऊंगा और आपसे मिलवाने, जब मैं लड़कों को लेकर आऊं तब आप अपने कमरे में बुलाकर उनका इंटरव्यू ले लीजिएगा और फिर उनको वापस घर भेज दीजिएगा, बाकी उनसे जो रुपये मिलेंगे वह हम आपस में आधा-आधा बांट लेंगे.

एसटीएफ की पूछताछ में विजय कुमार ने बताया कि उसके ऊपर किसी मामले में 35 से 40 लाख रुपये का कर्ज है और वह कर्ज हर दिन बढ़ता जा रहा है और उतारने के लिए उसे रुपयों की जरूरत थी, इसकी वजह से उसने लालच में आकर इस काम के लिए हामी भर दी और फिर बेरोजगार लड़कों को अपने ऑफिस में इंटरव्यू लेता था और फिर उनके मार्कशीट अपने पास रखवा लेता था, ताकि जमा की गई मार्कशीट के कारण वह रुपयों को हम तक पहुंचाते रहे.

विजय कुमार ने बताया कि इंटरव्यू के बाद मेरे द्वारा धर्मवीर को दिए गए फॉर्मेट पर धर्मवीर और आकाश दोनों फर्जी नियुक्ति पत्र प्रिंट आउट करवा कर इंटरव्यू देने आए लड़कों के घर के पते पर हस्ताक्षर करके रजिस्ट्री करवा देता था.

गिरफ्तार अभियुक्त विजय कुमार ने एसटीएफ द्वारा पूछताछ में यह भी बताया कि उसने ही अपने दोनों साथी धर्मवीर और आकाश का सहायक समीक्षा अधिकारी सचिवालय का आईडी कार्ड बनवाया है,- जिसे दिखाकर यह लोग लड़कों को प्रभावित करते थे और मेरे पास इंटरव्यू के लिए लाते थे. एसटीएफ पुलिस उपाधीक्षक दीपक सिंह ने विजय के साथी धर्मवीर के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि धर्मवीर ने अपना नाम अजय सिंह रखा हुआ था ताकि वह अपनी पहचान छुपा सके और असली नाम सामने किसी के ना आए.

धर्मवीर ने अजय सिंह के नाम से फर्जी आधार कार्ड ,ड्राइविंग लाइसेंस और सचिवालय का आईडी कार्ड भी बनवा रखा था और हरदोई जिले के थाने में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और उसके खिलाफ वारंट भी निकल चुका है.

हरदोई के थाना कोतवाली देहात में धर्मवीर के खिलाफ 406,506,420, 467,468, 471, 120 B और 34 के तहत मुकदमा पंजीकृत है. साथ ही हरदोई के एसपी द्वारा इसकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया जा चुका है.

डिप्टी एसपी सिंह ने बताया कि इन तीनों को गिरफ्तार करके लखनऊ के हजरतगंज थाने में दाखिल कर आगे की विधिक कार्रवाई लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट द्वारा की जा रही है. गिरफ्तार किए अभियुक्तों के पास से सहायक समीक्षा अधिकारी के कूटरचित आईडी कार्ड, 8 नियुक्ति पत्र अलग-अलग पद के लिए, 22 व्यक्तियों के मूल शैक्षिक प्रमाण-पत्र और अंक पत्र, 1 फर्जी आधार-कार्ड,ड्राइविंग लाइसेंस, दो पैनकार्ड मिले हैं.

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