यूपी तक की पड़ताल: गाजीपुर और बाराबंकी में वक्फ की जमीनों पर अवैध निर्माणों का जाल

यूपी की योगी सरकार (Yogi government) ने 33 साल पुराने आदेश को रद्द करते हुए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे कर एक महीने में…

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यूपी की योगी सरकार (Yogi government) ने 33 साल पुराने आदेश को रद्द करते हुए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे कर एक महीने में राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश दिए हैं. सूबे के सभी 75 जिलों में जितनी भी जमीन वक्फ की है, उसे वक्फ के नाम से अभिलेखों में दर्ज किया जाएगा. इसके अलावा वक्फ संपत्तियों की जो भी जमीन हड़पी गई या फिर किसी को बेच दिया गया, उसे भी सर्वे के जरिए चिन्हित किया जाएगा.

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योगी सरकार की तरफ से इस घोषणा के बाद यूपी तक वक्फ संपत्ति पर बनी अवैध इमारतों, दुकानों और अन्य भवनों की पड़ताल करने यूपी के गाजीपुर और बाराबंकी पहुंचा.

आखिर क्यों बना वक्फ की जमीन पर गजल होटल मुख्तार के पतन का कारण?

कहते हैं अगर श्राप लग जाए तो सिकंदर का मुकद्दर भी साथ नहीं देता. शायद कुछ ऐसा ही यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के साथ हुआ. आइए समझते हैं कि कैसे मुख्तार ने वक्फ की पाक जमीन पर बनाया अवैध गजल होटल और कैसे वह बना उसके पतन का कारण.

मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर शहर के बीचों-बीच बसे वक्फ की जमीन पर बने सालों पुराने कब्रिस्तान की जमीन पर एक आलीशान गजल होटल खड़ा कर दिया. इतना ही नहीं, उस होटल के नीचे एक हिस्सा एक प्राइवेट बैंक को दे दिया तो वहीं दूसरा कुछ दुकानों को.

बता दें कि 25 जून, 2020 को सदर एसडीएम प्रभास कुमार ने गजल होटल के जमीन की पैमाइश कराई थी. इसमें तमाम अनियमितताएं मिली थीं. होटल के नक्शे को भी एसडीएम ने निरस्त कर दिया है.

वहीं होटल की जमीन की जांच में उसके खरीद और बिक्री में तमाम अनियमितताएं मिली थीं. गजल होटल के अवैध निर्माण और रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े पाया गया था. इसके बाद इसी साल वहां योगी सरकार ने बुल्डोजर चलवा दिया और अवैध बने होटल को मिट्टी में मिला दिया.

क्या है कब्रिस्तान पर होटल बनाए जाने का रहस्य?

गाजीपुर के स्थानीय लोगों से जब यूपी तक ने बात की तो उन्होंने बताया कि किस तरह से मुख्तार का पतन उस वक्त से शुरू हो गया, जब उसने अल्लाह की जमीन पर होटल खड़ा कर दिया.

लोगों ने कहा, “आप रूहों के स्थान पर कब्जा कर लेंगे, होटल बना लेंगे, तो कैसे सुकून से बैठ पाएंगे. मुख्तार के बुरे दिन तभी शुरू हो गए थे जब उसने वक्फ की जमीन पर होटल खड़ा कर दिया.” लोगों ने बताया कि होटल से निकलने वाला गंदा पानी और कचरा सब कब्रिस्तान में आने लगा और कब्रों के इर्द-गिर्द समाने लगा, यह सरासर गलत था.

गाजीपुर के रौजा इलाके का हाल भी कुछ ऐसा ही हैं. यहां भी वक्फ की जमीन पर बने कब्रिस्तान के आस-पास मकान बनने लगे हैं. इंतजामिया कमिटी, गाजीपुर के अध्यक्ष और मुत्तवाली काजी गरीब आलम ने कागज दिखाते हुए बताया कि यह पूरी जमीन वक्फ की है और इस कागज में सिर्फ मस्जिद, रौजे और कब्रों का जिक्र है तो यह मकान कहां से आए. आलम यह है कि इन घरों से निकलते पानी की वजह से पूरा कब्रिस्तान जलमग्न है.

क्या कहती हैं डीएम गाजीपुर?

यूपी तक ने जब गाजीपुर की डीएम आर्यका अखौरी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जहां भी अवैध संपतियां हैं, वहां-वहां कारवाई की जा रही है. वक्फ की जमीनों का सर्वे शुरू हो चुका है और चाहे गजल होटल हो या कोई और जगह जहां भी अवैध निर्माण वक्फ की जमीन पर हुआ होगा, वहां-वहां कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि मैंने एक हफ्ते पहले ही गजल होटल के पास बनी अवैध दुकानें सील करवाई हैं.

गाजीपुर में पड़ताल के बाद यूपी तक जब बाराबंकी पहुंचा तो वहां चौकाने वाले नजारे मिले. बाराबंकी के नेशनल हाइवे के पास शहरी इलाके में 12 बीघा यानी की लगभग 3 लाख स्क्वायर फीट जमीन वक्फ की है. पर यहां सिर्फ दुकानें नजर आती हैं.

इसके अलावा यहीं पर वक्फ की कुछ जमीन पर मुख्तार अंसारी के गुर्गों द्वारा कब्जा किया गया था, जहां पर कॉम्प्लेक्स बन रहा है. इस अवैध कॉम्प्लेक्स को हटाने को शुरुआत हुई थी, पर किन्ही कारण से रुक गई.

सरवर अली रिजवी, मुतवल्ली, वक्फ नवाब अहमद अली खान ने बताया कि यह पूरी जमीन वक्फ की है और यहां सिर्फ दुकानें हैं. उन्होंने पेपर दिखाते हुए बताया कि सबके संज्ञान में था कि यह कॉम्प्लेक्स मुख्तार के गुर्गों का है.

क्या होता है वक्फ?

वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना. इस्लाम में वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं, जो अल्लाह के नाम पर जन-कल्याण के लिए दान कर दी जाती है. एक बार संपत्ति वक्फ हो गई तो फिर उसे मालिक वापस नहीं ले सकता है. वक्फ भी दो तरह की होती हैं, एक वक्फ अलल औलाद और दूसरा अलल खैर.

वक्फ अलल औलाद का मतलब यह है कि वक्फ संपत्ति परिवार के ही किसी शख्स के लिए होगी. उस वक्फ का मुतवल्ली (प्रबंधक) का पद परिवार के सदस्य के पास ही रहेगा, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहेगा. दूसरा वक्फ अलल खैर है, इसका मतलब यह है कि सार्वजनिक वक्फ. इस सपत्ति को जनता के लिए वक्फ किया गया है.

इसकी देखभाल की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड की होती है, जिसके देखभाल के लिए वक्फ बोर्ड एक मुतव्वली (प्रबंधक) नियुक्त करता है.

वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक, देश में करीब 8 लाख 55 हजार 891 संपत्तियां ऐसी हैं, जो वक्फ की हैं. देशभर में 32 वक्फ बोर्ड हैं. सेना और रेलवे के बाद देश में संपत्ति के मामले में वक्फ तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है. यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. यूपी और बिहार में शिया-सुन्नी की अलग-अलग संपत्तियां और बोर्ड हैं.

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