UP News: सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण के उप-वर्गीकरण यानी (सब कैटेगराइजेशन) को लेकर दिए गए फैसले के खिलाफ आज दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया है. इस भारत बंद को बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल समेत कई दलों और संगठनों का समर्थन मिला हुआ है. देश के कई हिस्सों में दलित संगठन सड़कों पर निकले हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं. मगर इस विरोध प्रदर्शनों में दलित वर्ग में शामिल वाल्मीकि समाज हिस्सा लेता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है.
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बता दें कि जब से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, तभी से ही वाल्मीकि समाज आरक्षण में उप-वर्गीकरण यानी (सब कैटेगराइजेशन) का समर्थन करता हुआ नजर आ रहा है. वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के साथ खड़ा हुआ दिख रहा है. इसी बीच UP Tak ने मुजफ्फरनगर में वाल्मीकि समाज के लोगों से बात की. इस दौरान वाल्मीकि समाज के लोगों ने साफ कहा कि वह इस भारत बंद में शामिल नहीं हैं और वह पूरी तरह से आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फैसले के साथ हैं. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अमल भी करना चाहिए.
वाल्मीकि समाज भारत बंद के खिलाफ
मुजफ्फरनगर के रहने वाले वाल्मीकि समाज के नेता दीपक गंभीर ने इस पूरे मामले को लेकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा, जितने भी दलित संगठनों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है, वाल्मीकि समाज इसका विरोध करता है. वाल्मीकि समाज भारत बंद के खिलाफ है. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ हैं और इस फैसले से खुश हैं.
दीपक गंभीर ने आगे कहा,
हम सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार से मांग करते हैं कि आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फैसले को जल्द से जल्द लागू किया जाए. जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और भारत बंद के साथ हैं, उन लोगों को ही दिक्कत है. अगर आज हमें ये आरक्षण मिल गया तो हमारे समाज को भी सदन में पहुंचने का मौका मिलेगा. ये बात कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही है. हमारा पूरा समाज इस भारत बंद का विरोध करता है.
‘वाल्मीकि समाज बहुजन संगठनों का बहिष्कार करता है’
वाल्मीकि समाज के दूसरे नेता ने इस पूरे मामले पर कहा, आज के भारत बंद का हमारा समाज कोई समर्थन नहीं कर रहा है. हमारा समाज आज पूरे देश के बहुजन संगठनों का बहिष्कार कर रहा है. हम चाहते हैं कि वाल्मीकि और रविदासी भाईचारा बना रहे. अगर हमें कोई अलग से आरक्षण मिल रहा है, तो उन लोगों को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हरियाणा और पंजाब में भी ऐसी ही होता है. हम और हमारा पूरा समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ है और हम इस फैसले का सम्मान करते हैं. हम तो सरकार से अपील करते हैं कि इस आरक्षण को यूपी में भी जल्द लागू किया जाए. उन्होंने आगे कहा, हमारा पूरा समाज आज अपने घरों में हैं. हर कोई भारत बंद का बहिष्कार कर रहा है.
‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध नहीं करना चाहिए था’
वाल्मीकि समाज से आने वाले युवा अर्जुन वाल्मीकि ने कहा, ये लड़ाई अभी की नहीं है. ये पंजाब और हरियाणा में लागू हो चुका है. दूसरी तरफ से इस फैसले का विरोध नहीं होना चाहिए था. हमारे बड़ो और बुजुर्गों ने इस फैसले का समर्थन किया है और हम सभी अपने बुजुर्गों के फैसले के साथ हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘जिन लोगों ने भारत बंद का ऐलान किया है, उन लोगों को पहले वाल्मीकि समाज के बुजुर्गों और बड़े लोगों से बात करनी चाहिए थी. हमें मायावती से कोई उम्मीद नहीं हैं. वह तो पहले से ही हमारे समाज को अपमानित और नजरअंदाज करती आई हैं. हमारा पूरा समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ है.
वाल्मीकि समाज के अन्य लोगों ने भी इस दौरान साफ कहा कि पूरा का पूरा वाल्मीकि समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ हैं और वह भारत बंद का विरोध कर रहा है. वाल्मीकि समाज का कोई भी शख्स आज भारत बंद में शामिल नहीं हैं.
जानिए आखिर सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण को लेकर क्या कहा था?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला किया. दरअसल चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से यह फैसला दिया कि राज्य सरकार एससी-एसटी के अंदर उप-वर्गीकरण कर सकती हैं और संविधान का लाभ दे सकती हैं. ये राज्य सरकार का संवैधानिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसा इसलिए किया जाना चाहिए, जिससे उन जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिल सके, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर और पिछड़ी हुई रह गई हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर ही दलित संगठनों की तरफ से भारत बंद का ऐलान किया गया है. मगर वाल्मीकि समाज इस बंद के साथ नहीं है.
आपको ये भी बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और मोदी सरकार में मंत्री जीतन राम मांझी ने भी भारत बंद का विरोध किया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का साथ दिया है. इसी के साथ राजस्थान के बड़े आदिवासी नेता किरोड़ी लाल मीणा ने भी भारत बंद का विरोध किया है.
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