काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब उसी परिक्षेत्र में स्थित देवी श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इसी कड़ी में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल वाद की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी की है. अगली तारीख 11 अक्टूबर को विपक्षियों को न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है.
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वाराणसी की स्थानीय अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई 1992 चल ही रही है. अब एक बाद एक केस काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक माता श्रृंगार गौरी के मंदिर में दर्शन करने को लेकर दर्ज होने लगे हैं. अभी दो हफ्ते पहले ही वाराणसी की हिंदू महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में ढाई दशक से बंद मां श्रृंगार गौरी के नित्य दर्शन की मांग को लेकर सूट फाइल किया था. उसी के कुछ दिनों बाद सावन में हिंदूवादी संगठन के लोगों ने श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए जाने पर अपनी गिरफ्तारी भी दी थी.
अब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की दो शिष्याओं, साध्वी पूर्णबा और देवी शारदंबा की ओर से वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन-पूजन के लिए सूट फाइल कर दिया गया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सभी 5 विपक्षी यूपी सरकार, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर बोर्ड के ट्रस्टी को 11 अक्टूबर को कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भी जारी कर दिया है.
इस मामले के वकील शैलेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी ओर से वाद दाखिल किया गया है और जब वह संपत्ति मुस्लिमों की भी नहीं है तो आखिर क्यों उन्हे अंदर जाने और दर्शन से रोका जाता है? उनका कहना है कि सिर्फ वर्ष में एक ही दिन मां श्रृंगार गौरी के दर्शन की अनुमति मिलती है. अगर रोका भी जा रहा है प्रदेश सरकार को बताना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है? इसलिए रोजाना दर्शन की अनुमति मिले और सरकार सुरक्षा मुहैया कराए.
रिपोर्ट: रोशन जायसवाल
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