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नवरात्र के दूसरे दिन मां भगवती ब्रह्मचारिणी की उपासना और आराधना की मान्यता है.
वाराणसी में ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर दुर्गाघाट पर स्थित है.
मंगलवार को तड़के सुबह से ही मां के दरबार में मत्था टेकने और भगवती के दूसरे स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ जुटने लगी.
पूरा वातावरण जय माता दी के उद्घोष के साथ गूंज उठा.
मां की उपासना से साधक और योगी स्वयं के मन को ‘स्वाधिष्ठान चक्र’ में स्थित कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य है. इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बायें हाथ में कमंडल शोभायमान है.
इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.
स्वार्थ सिद्धि और विजय और आरोग्य के लिए देवी की साधना अत्यन्त उत्तम होती है.
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