Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी को सुपुर्द ए खाक किए हुए 24 घंटे से अधिक का समय हो चुका है. पूर्वांचल और यूपी का सबसे बड़ा बाहुबली डॉन अब इस दुनिया से जा चुका है. अब अंसारी परिवार अपने मुख्तार को याद कर रहा है. मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी, उसके बेटे अब्बस और उमर काफी दुखी और परेशान हैं. इसी बीच मुख्तार के चहेते भतीजे मन्नू अंसारी ने भी अपने चाचा को याद किया है.
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यूपी विधानसभा के सदस्य शोएब अंसारी मन्नू ने सोशल मीडिया X पर अपने चाचा मुख्तार अंसारी की कब्र की एक फोटो पोस्ट की है. इसी के साथ उन्होंने अपने चाचा मुख्तार अंसारी को याद कर काफी कुछ लिखा है.
मन्नू ने किया अपने चाचा मुख्तार अंसारी को याद
सोशल मीडिया X पर शोएब अंसारी मन्नू ने लिखा, दादा-दादी के कदमों में दफन मुख्तार चाचू. शोएब ने लिखा, ‘कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा, मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा". मुख्तार चाचू दादा दादी के कदमों में दफन. अल्लाह ताला उनकी मगफिरत फरमाए, जन्नत उल फिरदौस में आला मकाम अता करे. आमीन.
इसी के साथ शोएब ने सभी लोगों से मुख्तार अंसारी के लिए दुआ करने की भी अपील की है. उन्होंने लिखा, ‘आप सभी से गुज़ारिश है उनके लिए दुआ करें.”
"कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा"
दादा दादी के कदमों में दफ़न मुख़्तार चाचू।
अल्लाह ताला उनकी मगफिरत फरमाए, जन्नत उल फिरदौस में आला मकाम अता करे। आमीन।
आप सभी से गुज़ारिश है उनके लिए दुआ करें। pic.twitter.com/vH5ZD5gLBQ
"कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा"
दादा दादी के कदमों में दफ़न मुख़्तार चाचू।
अल्लाह ताला उनकी मगफिरत फरमाए, जन्नत उल फिरदौस में आला मकाम अता करे। आमीन।
आप सभी से गुज़ारिश है उनके लिए दुआ करें। pic.twitter.com/vH5ZD5gLBQ
"कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा"
दादा दादी के कदमों में दफ़न मुख़्तार चाचू।
अल्लाह ताला उनकी मगफिरत फरमाए, जन्नत उल फिरदौस में आला मकाम अता करे। आमीन।
आप सभी से गुज़ारिश है उनके लिए दुआ करें। pic.twitter.com/vH5ZD5gLBQ
मुख्तार ने अपराध की दुनिया से रखा था राजनीति में कदम
मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा था. बता दें कि साल 1995 में मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में प्रवेश किया. इस दौरान साल 1996 में मुख्तार पहली बार बसपा के टिकट पर यूपी के मऊ से विधायक चुना गया. इसके बाद वह इसी सीट से साल 2002 और 2007 में भी विधायक चुना गया. मगर साल 2005 में हुई बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या ने सब कुछ बदल दिया. इस हत्याकांड का आरोप सीधे मुख्तार पर लगा. इसी मामले में मुख्तार को जेल हुई और वह कानून के शिकंजे में फंसता चला गया.
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