Chaudhary Charan Singh Bharat Ratna News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा. 'जनता का नेता', 'किसानों का मसीहा' नाम से मशहूर चौधरी चरण सिंह का जीवन बेहद ही सादगी भरा था. चरण सिंह अपनी सादगी और लोगों से जुड़ाव की वजह से सुर्खियों में बने रहते थे. आज जब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान हुआ है, तो ऐसे में हम आपको उनसे जुड़ा एक ऐसा रोचक किस्सा सुनाएंगे, जिसे कम ही लोग जानते हैं.
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ये कहानी है साल 1979 की...
यह बात साल 1979 की है. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में शाम 6 बजे के करीब ऊसराहार थाने में मैला कुर्ता, मिट्टी से सनी धोती और सिर पर गमछा डाले एक किसान परेशान होकर पहुंचा. तब इस किसान की उम्र करीब 75 साल के आसपास रही होगी. उसके पैरों में चप्पल भी नहीं थीं. पुलिसवालों को देख डर के मारे वह कुछ बोल भी नहीं पा रहा था. बुजुर्ग किसान को देख एक हेड कॉन्स्टेबल ने उससे कहा, 'क्या मामला है, थाने क्यों आए हो'. हेड कॉन्स्टेबल को जवाब में बुजुर्ग ने कहा, "मेरी जेब किसी चोर ने काट ली है. उसकी फरियाद लेकर थाने आया हूं...रपट लिख दीजिए."
किसान से मांगी गई 35 रुपये की रिश्वत
इसके बाद मौके पर तब बुर्जुग किसान के साथ पुलिसवालों ने कई सवाल जवाब किए, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी. जब किसान ने देख लिया कि पुलिस उसकी रिपोर्ट नहीं लिखेगी, तब उसने वापस लौटने की योजना बनाई. किसान लौटकर जाने लगा तभी एक पुलिस वाले ने पीछे से आवाज लगाई और कहा कि अगर वह 35 रुपये दे दे तो उसकी रिपोर्ट दर्ज कर ली जाएगी.
फिर आया कहानी में ट्विस्ट
रिपोर्ट लिखने के बाद सिपाही ने पूछा, "दादा दस्तखत करोगे या अंगूठा लगाओगे?' किसान ने कहा, 'दस्तखत करूंगा.' इसके बाद किसान ने पैन उठाया और अंगूठा लगाने वाला पैड भी उठा लिया. किसान ने दस्खत करे. इसके बाद किसान ने अपनी जेब से मुहर निकाली और सियाही वाले पैड पर रख दी. ये सब पुलिसवाला देखता रहा. किसान ने जब मुहर लगाई और फिर पुलिसवाले ने उसे गौर से देखा तो उसके पैर के नीचे से जमीन खिसक गई. मानो जलजला आ गया हो. क्योंकि मुहर पर लिख रहा था 'प्रधानमंत्री, भारत सरकार.' कागज पर मुहर लगाने वाले शख्स कोई और नहीं बल्कि देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह थे.
पीएम ने ऐसा कदम क्यों उठाया था?
दरअसल, जब चरण सिंह पीएम की कुर्सी पर बैठे थे तब उन्हें शिकायत मिल रही थीं कि पुलिस स्टेशनों में घूसबाजी चल रही है. इन्हीं शिकायतों की तस्दीक करने के लिए तब चरण सिंह ने खुद जमीनी स्तर पर जाकर जायजा लिया था.
इस कहानी को आप हमारे सहयोगी क्राइम तक की वीडियो रिपोर्ट में भी सुन सकते हैं.
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