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किसी ने क्या खूब कहा है कि सियासत में दोस्ती और दुश्मनी, दोनों सहूलियत को देखते हुए की जाती है। अब एक बार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही देख लीजिए, आज से महज कुछ महीने पहले अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ मिल कर बीजेपी को सत्ता से बाहर फेंकने की बात कर रहे थे। लेकिन आज वही अखिलेश यादव लोगों को आगाह कर रहे हैं कि कांग्रेस चालक पार्टी है ..
Someone has well said that in politics, both friendship and enmity are done keeping in mind the convenience. Now just look at SP President Akhilesh Yadav, just a few months ago Akhilesh Yadav was talking about joining hands with Congress and throwing BJP out of power. But today the same Akhilesh Yadav is warning people that Congress is a driving party.
किसी ने क्या खूब कहा है कि सियासत में दोस्ती और दुश्मनी, दोनों सहूलियत को देखते हुए की जाती है। अब एक बार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही देख लीजिए, आज से महज कुछ महीने पहले अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ मिल कर बीजेपी को सत्ता से बाहर फेंकने की बात कर रहे थे। लेकिन आज वही अखिलेश यादव लोगों को आगाह कर रहे हैं कि कांग्रेस चालक पार्टी है ..
Someone has well said that in politics, both friendship and enmity are done keeping in mind the convenience. Now just look at SP President Akhilesh Yadav, just a few months ago Akhilesh Yadav was talking about joining hands with Congress and throwing BJP out of power. But today the same Akhilesh Yadav is warning people that Congress is a driving party.
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