गुलाम मोहम्मद जौला ने बताया, क्या थी ‘अल्लाहु अकबर, हर-हर महादेव’ नारे के पीछे की कहानी

कुमार कुणाल

• 02:52 PM • 12 Sep 2021

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को हुई ‘किसान महापंचायत’ में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि…

follow google news

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को हुई ‘किसान महापंचायत’ में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि जब टिकैत साहब (राकेश टिकैत के पिता महेंद्र टिकैत) थे, तब हर-हर महादेव और अल्लाहु-अकबर के नारे इसी धरती से लगते थे.

यह भी पढ़ें...

यह कहते हुए राकेश टिकैत ने महापंचायत में अल्लाहु-अकबर का नारा भी लगाया और उनके साथ-साथ वहां मौजूद भीड़ भी नारा लगाती दिखी. ऐसे में जब ‘अल्लाहु अकबर, हर हर महादेव’ के संयुक्त नारे पर चर्चा तेज है, तब यूपी तक ने इस नारे के अहम किरदार गुलाम मोहम्मद जौला से बातचीत की है. बता दें कि जौला महेंद्र सिंह टिकैत के अहम सहयोगी रह चुके हैं.

नारे के अचानक से चर्चा में आ जाने पर जौला ने कहा, ”भाजपाइयों ने इस पर ऐतराज किया है, और तो किसी को ऐतराज नहीं है. किसी मुसलमान को ऐतराज नहीं है. किसी सेक्युलर हिंदू को ऐतराज नहीं है..”

यह संयुक्त नारा कैसे बना, इसे लेकर जौला ने बताया, ”हमारा एक किसान आंदोलन चल रहा था. तब एक मुसलमान और एक हिंदू, दो नौजवान लड़के शहीद हुए थे उस समय. तब वहां यह नारा दिया गया था- ‘अल्लाहु अकबर, हर-हर महादेव’. यह 1987 की घटना थी.”

जौला ने मुजफ्फरनगर के दंगों को लेकर कहा है कि अगर महेंद्र सिंह टिकैत होते तो 2013 में दंगे नहीं होते. उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह टिकैत के सामने कई बार ऐसे मामले आए और उन्होंने मिसाल कायम की.

जौला ने बताया, ”एक बार जब एक मुस्लिम लड़की की हत्या और अपहरण हुआ तो महेंद्र सिंह टिकैत ने आंदोलन चलाया था सरकार के खिलाफ, जिसमें 14000 लोग शामिल हुए, जिनमें से 10000 लोग जाट थे.”

कौन हैं गुलाम मोहम्मद जौला?

बीकेयू का नेतृत्व जब महेंद्र सिंह टिकैत के हाथों में था तब गुलाम मोहम्मद जौला उनके आंदोलनों का मंच संभाला करते थे. बीबीसी के एक आर्टिकल में रेहान फजल लिखते हैं कि तब महेंद्र सिंह टिकैत के मंच पर कोई न कोई मुस्लिम नेता जरूर रहता था. असल में यह पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम एकता की अपनी तरह की एक कोशिश थी, जो काफी लंबे समय तक एक मजबूत गठजोड़ रही.

मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के बाद बहुत कुछ बदल गया. ऐसे ही बड़े बदलावों में से एक था गुलाम मोहम्मद जौला का बीकेयू से अलगाव. आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जौला और टिकैत की जुगलबंदी पर निशाना साध रही है, लेकिन 2013 में परिस्थितियां बिल्कुल अलग थीं.

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जौला ने खुलकर बीकेयू चीफ नरेश टिकैत और उनके भाई राकेश टिकैत की लीडरशिप पर सवाल उठाए थे.

मामला इतना आगे बढ़ा कि नवंबर 2013 में नरेश टिकैत ने संगठन विरोधी गतिविधियों के आरोप में गुलाम मोहम्मद जौला को बीकेयू से निष्कासित कर दिया. तब जौला ने भारतीय किसान मजूदर मंच के नाम से अपना अलग संगठन बना लिया.

क्या आपको भी वॉट्सऐप पर मिला राकेश टिकैत का अल्लाहु-अकबर वाला वीडियो? पूरा सच यहां जानिए

    follow whatsapp