कहते हैं कि मौसम की मार सबसे पहले अगर किसी की पोल खोलती है तो वह है सरकारी काम की. ऐसी ही एक पोल वाराणसी प्रशासन की भी तब खुलकर सामने आ गई जब करीब 12 करोड़ की लागत से बनकर तैयार साढ़े पांच किलोमीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा कैनाल प्रोजेक्ट पूरी तरह गंगा में आई बाढ़ में समाहित हो गया.
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सरकारी प्रोजेक्ट के बाढ़ की भेंट चढ़ जाने की ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए. स्थानीय लोग करोड़ों के प्रोजेक्ट के फेल हो जाने की बात कर रहे हैं तो जिला प्रशासन का दावा है कि कोई नुकसान ही नहीं हुआ है.
रामनगर से राजघाट तक बने गंगा को बाईपास करने वाला यह प्रोजेक्ट इस साल मार्च में शुरू होकर और बाढ़ के आने के पहले लगभग पूरा हो चुका था. जिसको बनाने के पीछे जिला प्रशासन ने यह मकसद जाहिर किया था कि इसके बन जाने से गंगा के पक्के घाटों पर पानी का दबाव कम बनेगा.
हालांकि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही वैज्ञानिक सवाल खड़े कर रहे थे कि बाढ़ की हालत में प्रोजेक्ट डूब जाएगा और देखिए आखिर में हुआ भी वही. इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के पहले बकायदा गंगा से कछुआ सेंक्चुरी शिफ्ट होने के बाद सिंचाई विभाग के जरिये टेक्निकल रिपोर्ट बनाई गई. जिसमें घाटों के कटान को रोकने के लिए गंगा की डेप्थ एनालिसिस और गंगा के सामने छोटा चैनल बनाने का सुझाव पेश किया गया था, जिसके बाद ही यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ.
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