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आज जिस भारत बनाम इंडिया की लड़ाई में विपक्ष खासकर कांग्रेस इंडिया की तरफ खड़ी है, जानकर हैरानी होगी कि उसी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी ने आजादी के बाद संविधान सभा में भारत नाम की पैरवी की थी और ‘भारत दैट इज इंडिया’ यानी भारत अर्थात इंडिया के नाम का प्रस्ताव रखा था। हालांकि वोटिंग में ‘इंडिया दैट इज भारत’ के नाम पर मुहर लगी। क्या था पूरा वाक्या और अब आज के परिदृश्य में उस घटना को कैसे देखा जा रहा है? इसपर खास बातचीत की पंडित कमलापति त्रिपाठी के परपोते पूर्व विधायक और TMC नेता ललितेश पति त्रिपाठी ने….
Today, in the battle of India vs India, in which the opposition, especially the Congress, is standing on the side of India, it would be surprising to know that the senior leader of the same Congress, Pandit Kamalapati Tripathi, had advocated the name of India in the Constituent Assembly after independence and ‘Bharat that is India’. The name Bharat means India was proposed. Although the name of ‘India that is Bharat’ was stamped in the voting. What was the whole incident and now how is that incident being seen in today’s scenario?
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