तो क्या अब महीनों तक चाह कर भी सरेंडर नहीं कर पाएगी शाइस्ता परवीन?
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अगर आप के मन में भी सवाल उठ रहा है कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं तो आपको बता दें कि देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी के मुताबिक इस्लाम के अंदर अगर किसी औरत का पति मर जाता है तो उसके मरने के बाद उस औरत को इद्दत करना जरूरी होता है. दरअसल शाइस्ता परवीन उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी है और इस वक्त फरार है..पहले उसपर 25 हजार का ईनाम था जिसे बाद में बढ़ाकर 50000 कर दिया गया था.अब देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी कहते हैं कि शरीयत के अंदर यह है कि अगर किसी औरत के पति का इंतकाल हो जाए तो इस सूरत में उस औरत को इददत करनी जरूरी होती है उसको चाहिए कि इस सूरत में इददत करें देखिए कोई भी सूरते हाल उसके साथ में होती है अगर वह चाहे पुलिस कस्टडी में हो या पुलिस उसके पीछे हो वह कहीं पर भी अपनी इददत का वक्त गुजार सकती है चाहे वह पुलिस कस्टडी में हो अपने घर पर हो या अपने रिश्तेदारों के यहां हो कहीं भी हो उसको इददत करनी जरूरी होती है. अब ये इद्दत है क्या और कैसे इस्लाम में इसे फॉलो करना जरूरी होता है.
Shaista Parveen surrender News
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