उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की वजह से मैनपुरी फिर सुर्खियों में है. दरअसल, मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अखिलेश को टक्कर देने के लिए केंद्रीय मंत्री और आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतरा है. यह बात तो साफ है कि करहल की सीट पर घमासान तेज हो चुका है, अखिलेश यादव से लेकर एसपी सिंह बघेल अपनी जीत के दावे कर रहे हैं.
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इस बीच यूपी तक ने एसपी सिंह बघेल से खास बातचीत की है. उन्होंने कहा,
“अगर मैं गंभीर प्रत्याशी नहीं हूं तो 300 लोग मेरा इंटरव्यू क्यों ले रहे हैं? ऐसे-ऐसे वरिष्ठ पत्रकार जिनके पीछे मैं भागता था, वो ले (इंटरव्यू) रहे हैं, इसका मतलब आपने भी मुझे गंभीरता से ले लिया है. मैं पार्टी का आभार व्यक्त करना चाहूंगा.”
एसपी सिंह बघेल
‘आपने तीन बार यादव परिवार को चुनौती दी है, लेकिन तीनों बार कहीं-न-कहीं आपको मार्जिन से पीछे रहना पड़ा है?’ इस सवाल के जवाब में एसपी सिंह बघेल ने कहा, “छोटे मार्जिन से पीछे रहना पड़ा, लेकिन डिंपल यादव और मेरे में तो 12900 वोटों का अंतर था. कल्याण सिंह और मुलायम सिंह जी का गठबंधन नहीं होता तो अखिलेश यादव चुनाव हारते. कल्याण सिंह जी अखिलेश को वोट ट्रांसफर करवा गए, वरना इतिहास तो 2009 में ही लिख दिया जाता.”
अखिलेश यादव की ओर से किए गए जीत के दावे पर केंद्रीय मंत्री बघेल ने कहा, “डेमोक्रेसी को जलील न करें, जनता का अपमान न करें. मैंने इसी खानदान के अक्षय यादव को फिरोजाबाद में हारते हुए देखा है. मैं भी उनकी हार में बड़ा कारण हूं. डिंपल यादव कन्नौज में हारती हैं, धर्मेंद्र यादव बदायूं में हारते हैं, इनकी 3 राजधानियां ढह गई हैं. कन्नौज, फिरोजाबाद और बदायूं के किले ध्वस्त हो चुके हैं. करहल बाकी है.”
आपको बता दें कि मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से सोमवार, 31 जनवरी को एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नामांकन फाइल किया, जिसके कुछ देर बाद ही एसपी सिंह बघेल भी अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे.
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करहल सीट से ही क्यों अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे अखिलेश? जानिए 4 बड़ी वजह
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