यूपी में विधान परिषद सदस्य यानी MLC चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है. 9 अप्रैल को 36 सीटों पर मतदान होगा और 11 अप्रैल को वोटों की गिनती होगी. चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक पार्टियों की तरफ से इस चुनाव को लेकर तैयारियां जारी हैं.
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इस बीच, हम आपको इस MLC चुनाव के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं. जैसे- कौन लोग वोट देते हैं और कैसे चुनाव होता. आइए जानते हैं.
सबसे पहले ये समझ लीजिए कि विधान परिषद क्या है? दरअसल, देश में 6 राज्यों में ही विधान परिषद हैं. उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी विधान परिषद हैं. यह बिल्कुल वैसा है, जैसे लोकसभा और राज्यसभा होता है. लोकसभा के लिए आम लोग प्रतिनिधि चुनते हैं, जबकि राज्यसभा के लिए प्रतिनिधि ही प्रतिनिधि को चुनते हैं. इसके अलावा कुछ सदस्यों को मनोनीत किया जाता है.
अब अपने राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें, तो विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं. लेकिन सभी 100 सीटों का चयन एक जैसा नहीं होता है. इसमें कई किस्म से चुनाव होते हैं. एक तो होते हैं, शिक्षक संघ के चुनाव. इसमें 8 सीटें होती हैं, जिसका चयन प्रदेशभर के शिक्षक करते हैं. इसके अलावा एक होता है स्नातक चुनाव. इसमें प्रदेशभर के वो स्नातक वोट देते हैं, जिनका नाम इस चुनाव के लिए वोटर लिस्ट में शामिल होता है. इसके लिए 8 सीटें हैं.
फिलहाल उत्तर प्रदेश में MLC की 36 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. यह चुनाव प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाने वाला है. स्थानीय निकायों के लिए कुल 35 विधानसभा की 36 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इस चुनाव में कई प्रतिनिधि वोट देते हैं.
विधान परिषद के सदस्य विद्या सागर सोनकर ने यूपी तक से बातचीत में बताया कि इसमें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निगम, नगर पलिका निर्वाचित सदस्य, उसे क्षेत्र में आने वाले विधायक और सांसद भी वोट देते हैं.
इस चुनाव में वोट देने की प्रक्रिया भी अलग होती है. दरअसल, चुनावों में वोटिंग वरीयता के हिसाब से होती है. जितने प्रत्याशी हैं, उनके नाम के आगे 1, 2, 3 आदि लिखकर वरीयता दिया जाता है. सबसे अधिक एक नंबर पर वरीयता हासिल करने वाले प्रत्याशी की जीत होती है.
वहीं, 38 सदस्य ऐसे होते हैं, जिनका चयन सिर्फ विधायक करते हैं. इसके अलावा 10 सदस्य ऐसे भी होते हैं, जो सीधे मनोनीत किए जाते हैं. सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है.
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