कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बारिश के चलते एक जर्जर मकान की चारदीवारी गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई. लेकिन इस घटना से वाराणसी का नगर निगम कुछ सीख लेता नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि वाराणसी में भी 400 जर्जर मकानों को सिर्फ चिन्हित करके खानापूर्ति कर दी गई है. मगर आगे की कार्रवाई या ध्वस्तीकरण के अभाव में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. गौरतलब है कि वाराणसी में भी बारिश रूक-रूककर हो रही है.
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वाराणसी नगर निगम की सीमा में आने वाले पांच जोन में सबसे ज्यादा कोतवाली जोन में 187, दशाश्वमेध जोन में 142, वरूणापार जोन में 40, आदमपुर में 18 और भेलूपुर में 13 जर्जर मकानों का चिन्हांकन नगर निगम करके नोटिस चस्पा कर चुका है. लेकिन अभी भी मौत को दावत देने वाले जर्जर मकान किसी भी बड़ी दुर्घटना के लिए अपने जगह पर खड़े हैं.
इस बारे में वाराणसी नगर निगम के अपर नगर आयुक्त दुष्यंत मौर्य ने यूपी तक को बताया कि जर्जर मकानों का समय-समय पर चिन्हांकन कराकर जोनल अधिकारियों के जरिये नोटिस जारी कराया जाता है कि लोग अपना मकान स्वयं गिरा लें. जब ऐसा नहीं होता है तो इंजीयरिंग विभाग के माध्यम से मकान मालिक को नोटिस जारी करके आगे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाती है और फिर मकान मालिक से वसूली भी होती है.
उन्होंने बताया कि पहले से ही सभी को निर्देशित किया जा चुका है कि फिल्ड में भ्रमण करके जर्जर मकानों के दिखने पर आवश्यक कार्रवाई किया जाए.
400 मकानों को नोटिस देने के बाद भी ध्वस्तीकरण न करने के सवाल के जवाब में अपर नगर आयुक्त ने बताया कि प्रक्रिया के तहत नोटिस दी जाती है. उन्होंने बताया कि कोर्ट स्टे के चलते कभी कभी दिक्कत आती है, जबकि अन्य जर्जर मकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नगर निगम का इंजीनियरिंग विभाग करता है.
वाराणसी नगर निगम के अपर नगर आयुक्त दुष्यंत मौर्य ने यूपी तक को और इस विषय पर और डिटेल में जानकारी दी है, जिसे आप इस खबर के टॉप में शेयर किए गए Varanasi Tak के वीडियो पर क्लिक कर देख सकते हैं.
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