प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ वाराणसी संसदीय क्षेत्र से दो बार चुनावी ताल ठोकने वाले कांग्रेस नेता अजय राय (Ajay Rai) के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि एक 26 साल पुराने मामले में कोर्ट ने उनके ऊपर आरोप तय किया है.
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दरअसल, यह मामला साल 1996 उस वक्त का है जब अजय राय पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे और सीमित संख्या से कहीं ज्यादा भीड़ इकट्ठा करने और उत्तेजक नारेबाजी को लेकर उनके खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया था और अब जाकर अजय राय के ऊपर आरोप तय हुए हैं.
इस मामले में पूर्व विधायक अजय राय अपने अधिवक्ता अनुज यादव और विकास सिंह के साथ अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपी/एमएलए कोर्ट के न्यायधीश उज्ज्वल उपाध्याय के समक्ष उपस्थित हुए थे. जिसके बाद अदालत में उन पर आरोप तय किया गया. अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 9 सितम्बर नियत की है.
वाराणसी तक से खास बातचीत में अजय राय ने बताया कि राजनीतिक विद्वेष के चलते उनके ऊपर यह मुकदमा दर्ज कराया गया था और अभी कानूनी प्रक्रिया के पहले चरण में यह केस पहुंचा है. आगे बहुत लंबी न्यायिक प्रक्रिया से होकर इसे गुजारना पड़ेगा और मुझे पूरी उम्मीद है कि न्याय उनके पक्ष में ही होगा.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अपने नामांकन जुलूस में उन्होंने लोगों को नहीं बुलाया था, बल्कि लोग खुद आए थे. जिनको वह मना नहीं कर सकते थे. जुलूस के दौरान उत्तेजक नारेबाजी के सवाल के जवाब में अजय राय ने बताया कि जुटे हुए लोग अपनी अभिव्यक्ति प्रकट कर रहे थे, ना कि किसी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि विद्वेष के चलते यह मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन उन्होंने जनता के समर्थन से यह चुनाव जीत लिया था. अजय राय ने अपनी सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े किए हैं कि उनके बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी को बिल्कुल सजा होगी. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी तरह से सरकारी सुरक्षा अभी तक नहीं मिली है.
इस पूरे मामले को खबर की शुरुआत में टॉप में शेयर किए गए Varanasi Tak के वीडियो पर क्लिक कर देखें.
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