कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की कथित तौर पर पुलिस की पिटाई से हुई मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोनों से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की CBI जांच की याचिका पर यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है.
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अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है? मनीष गुप्ता की पत्नी की ओर से कहा गया कि सरकार ने एक प्रेस नोट दिया गया था कि मामले की जांच की सीबीआई के लिए सिफारिश की गई है. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी कुछ नहीं किया है. यहां तक कि यूपी पुलिस की SIT ने क्राइम सीन का रीकंस्ट्रक्शन भी नहीं किया है.
कारोबारी मनीष गुप्ता की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जांच CBI को ट्रांसफर करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि उन्हें यूपी पुलिस की SIT जांच पर भरोसा नहीं है. आगे कहा गया है कि यूपी पुलिस ने इस मामले में शुरू से ही आरोपियों को बचाने की कोशिश की है क्योंकि पहले इसे दुर्घटना बताया गया. मौत के 48 घंटे बाद FIR दर्ज की गई. लिहाजा मामले की जांच CBI को सौंपी जाए और ट्रायल को दिल्ली की CBI कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.
क्या है पूरा मामला
कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता 27 सितंबर की सुबह आठ बजे अपने दो दोस्तों हरवीर व प्रदीप के साथ घूमने गोरखपुर गए थे. तीनों युवक तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे थे. 27 सितंबर की रात ही रामगढ़ताल थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, फलमंडी चौकी प्रभारी रहे अक्षय मिश्रा सहित छह पुलिस वाले आधी रात के बाद होटल में चेकिंग को पहुंच गए थे. कमरे की तलाशी लेने पर मनीष ने आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों से उनका विवाद हो गया. आरोप है कि पुलिस वालों ने उनकी पिटाई कर दी थी जिससे उनकी मौत हो गई थी.
शुरुआत में पुलिस की ओर से नशे में गिरने से लगी चोट को मौत की वजह बताया था मगर बाद में केस दर्ज किया गया था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मनीष के शरीर पर कई जगह चोट के निशान मिले थे. मनीष की पत्नी मीनाक्षी की शिकायत पर पुलिस ने तीन नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया था.
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