Azamgarh Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश की आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी और सपा के बीच ज़बरदस्त टक्कर दिखाई दे रही है. इस सीट से बीजेपी ने सांसद दिनेशलाल यादव निरहुआ को टिकट दिया है तो वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से धर्मेंद्र यादव मैदान में हैं. वहीं अगर निरहुआ की पर्सनल लाइफ की बात की जाए तो कभी उन्होंने बेहद गरीबी के दिन देखे हैं. वो खुद भी नहीं जानते थे कि एक दिन इतने बड़े स्टार बनेंगे. वहीं हमारे सहयोगी चैनल बिहार तक से बात करते हुए निरहुआ ने तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी.
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निरहुआ का तबका किस्सा जब नहीं थे स्टार
बिहार तक से बात करते हुए दिनेशलाल यादव ने बताया कि, 'वह बेहद साधारण परिवार से नाता रखते हैं, पिता कोलकाता में 3500 रुपए मासिक की एक नौकरी करते थे. इससे उन्हें 5 बच्चों की परवरिश करनी होती थी. उनका मन बचपन से ही गीत-संगीत में लगता था.' उन्होंने आगे बताया कि, 'संघर्ष के दिनों में वो कैसे बेचने का काम करते थे और गांव में गाय भी चराते थे. वहीं जब वो पहली बार सांसद बने तो उनकी मां यहीं बोला था तुम गरीब के बेटे हो और तुम्हें गरीबों के लिए ही काम करना है.' वहीं अपनी मां से जुड़ा किस्सा बताते हुए निरहुआ ने कहा कि मेरे सांसद बनने के बाद एक बार वो आजमगढ़ आईं पर जिस सड़क से वो आई वो खाराब थी. मुझसे मिलने के बाद उन्होंने सड़क के लिए मुझे डांट भी लगाई. फिर जब सड़क बन गई तब वो खुश हुईं.
नेता जी का बताया वारिस
वहीं आजमगढ़ से सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को लेकर निरहुआ ने कहा कि, 'मैं उन्हें चुनौती नहीं मानता हूं. वो तीन दिन आजमगढ़ रहने वाले नेता हैं और मैं तीस दिन यहीं रहता हूं.'उन्होंने आगे कहा कि, आजमगढ़ में अगर किसी ने काम किया था तो वो मुलायाम सिंह यादव थे और धरती से जुड़े रहने के कारण ही उन्हें लोग धरतीपुत्र कहते थे. पर नेता जी के बाद यहां, उनका कोई वारिस है तो वो मैं हूं. क्योंकि उनके बाद यहां मैंने ही काम किया है.'
दिलचस्प है आजमगढ़ का चुनाव
बता दें कि इस लोकसभा चुनाव में आज़मगढ़ की चुनावी लड़ाई और दिलचस्प हो गई है. इससे पहले 2022 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव और दिनेश लाल निरहुआ के बीच टक्कर देखने को मिली थी, जिसमें धर्मेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा था और बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली थी.
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