लोकसभा चुनाव: UP में PM मोदी के सामने राहुल-अखिलेश और मायावती की चुनौती, देखें कौन किसपर भारी

यूपी तक

17 Mar 2024 (अपडेटेड: 17 Mar 2024, 09:01 AM)

केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है, इसलिए देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में सभी राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में जुट गए हैं

UPTAK
follow google news

UP Political News: केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है, इसलिए देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में सभी राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में जुट गए हैं. एक तरफ जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे और विभिन्न विकास परियोजनाओं के सहारे सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है, वहीं विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को भी राज्य में सम्मानजनक लड़ाई लड़ने की उम्मीद है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों के तहत मतदान होगा, जो 19 अप्रैल से शुरू होकर एक जून को समाप्त होगा.

यह भी पढ़ें...

भाजपा PM मोदी की लोकप्रियता भुनाने को तैयार 

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को नीत राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को यूपी से अधिक उम्मीदें हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी वाराणसी से चुनाव मैदान में हैं, जहां काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्निर्माण सहित कई विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं. भाजपा सूबे में मोदी की लोकप्रियता और हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है साथ ही राज्य के छोटे दलों के समर्थन से भी पार्टी को मजबूती मिल रही है.

 

 

ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की राजग में वापसी से भाजपा को पूर्वांचल क्षेत्र में मजबूती मिली है. राजभर को हाल ही में योगी आदित्‍यनाथ नेतृत्व की सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. इसी तरह, रालोद के नेता जयंत चौधरी के समाजवादी पार्टी को छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन करने के कदम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजग का काम आसान होने की उम्मीद है, जहां जाटों और कृषक समुदाय का वर्चस्व है.

जयंत भी हैं अब NDA के पार्टनर

जयंत चौधरी के दादा और किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न की हालिया घोषणा ने स्पष्ट रूप से इस समीकरण को और मजबूती प्रदान की है.

वहीं विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' भी राज्य में अपनी खोई जमान तलाशने में जुटा है. सपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बाद आखिरकार दोनों दलों के बीच सीट-बंटवारे पर समझौता हो गया, जिससे 'उप्र के लड़कों' की पुरानी यादें ताजा हो गईं.


यूपी के फेमस हुई थी  'UP के दो लड़कों'

 

राज्य में 2017 विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच गठबंधन के बाद 'यूपी के दो लड़कों' की यह जोड़ी प्रसिद्ध हुई थी. हालांकि चुनाव परिणामों में गठबंधन को मुंह की खानी पड़ी थी.

 

 

अखिलेश ने दिया PDA का नारा

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक नया नारा  'पीडीए' दिया है, जिसका मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन तीनों वर्गों के बड़ी संख्या में मतदाता हैं.

मायावती नहीं करेंगी किसी से गठबंधन

वहीं मायावती ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ सीट बंटवारे पर समझौता नहीं करेंगी.

भाजपा ने की पसमांदा मुसलमानों ताज पहुंच बनाने की कोशिश

 

भाजपा ने पिछले कुछ महीनों में विशेष रूप से 'पिछड़े' पसमांदा मुसलमानों को लक्षित करते हुए अल्पसंख्यकों तक पहुंच बनाने के प्रयास किए हैं. मोदी सरकार में तीन तलाक उन्मूलन को भी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के प्रयास के रूप में पेश किया गया है हालांकि अब तक भाजपा द्वारा घोषित 51 उम्मीदवारों की पहली सूची में किसी मुस्लिम उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है.

 

 

ऐसी थी 2019 के चुनावों की तस्वीर

2019 के आम चुनाव में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल अपना दल (सोनेलाल) दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा था. वहीं कांग्रेस एकमात्र रायबरेली सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी. राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) 2019 आम चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी थी.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

    follow whatsapp