Uttar Pradeshy News : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा बदलाव नजर आया. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में अपना दल कमेरावादी और एआईएमआईएम गठबंधन बनाकर सियासी मैदान में उतरने जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के जवाब में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपना दल (कमेरावादी) के साथ मिलकर PDM न्याय मोर्चा बनाया है. P-पिछड़ा, D-दलित, M-मुसलमान.
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सपा की टेंशन बढ़ाएगा तीसरा मोर्चा
PDM न्याय मोर्चा में AIMIM के साथ सपा गठबंधन में शामिल रही अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल और प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के अध्यक्ष प्रेमचंद बिंद भी हिस्सा होंगे. उत्तर प्रदेश में तीसरा मोर्चा का एलान करने के बाद पल्लवी पटेल ने कहा कि जब तक पीडीएम को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक सामाजिक न्याय की लड़ाई पूरी नहीं होगी. इसके बाद एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पार्लियामेंट से भी आगे तक पल्लवी पटेल के साथ रहने की बात कही.
मुस्लिम वोटों पर नजर
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि BJP भारत की राजनीती से मुसलमानो को हाशिए पर धकेलने में लगी है. सिर्फ वोट दीजिए, भागीदारी भूल जाइए. यह गलत है. मुसलमान वोट देने वाले कब तक रहेंगे. ओवैसी ने कहा कि 2022 के चुनाव में 90% मुस्लिम ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया, लेकिन उनका क्या हुआ, उनको क्या मिला.
चुनाव से पहले छूटा सबका साथ
लोकसभा चुनाव से पहले सपा के अंदर कलह मची ही हुई है पर अखिलेश के साथ मजबूती से खड़े होने वाले उनके सहयोगी भी अपना अपने हाथ खींचने में देर नहीं लगा रहे हैं. जंयत चौधरी का साथ छोड़ना अखिलेश यादव के लिए किसी बड़े सदमें से कम नहीं रहा होगा. 2022 का विधानसभा चुनाव भी अखिलेश और जयंत मिलकर लड़े थे. अब वो भाजपा गठबंधन के साथ चले गए हैं. सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर और कद्दावर पिछड़े नेता दारा सिंह चौहान भी अखिलेश यादव का साथ छोड़कर चले गए, वहीं अब अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने भी सपा का साथ छोड़ दिया है.
भाजपा की आंधी के बीच सपा
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को सत्ता से दूर हुए 7 साल हो गए पर आज भी सूबे में उनका क्रेज देखा जा सकता है. अखिलेश यादव यूपी में जहां भी जाते हैं उनके समर्थकों का अच्छी खासी भीड़ भी देखी जाती है. अगर ऐसा कहे कि फिलहाल समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में एक मात्र पार्टी है जो बीजेपी की आंधी में भी मजबूती से खड़ी है तो ऐसा गलत नहीं होगा. पर बीजेपी के आंधी रोकने के लिए जो सिपहसलार अखिलेश यादव के साथ मजबूती से खड़े थे वो एक-एक कर उनका साथ छोड़ कर जा रहे हैं.
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