Varanasi Lok Sabha: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. कांग्रेस ने वाराणसी लोकसभा सीट से एक बार फिर अजय राय को टिकट दिया है. अजय राय इससे पहले साल 2014 और 2019 में भी वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं.
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आपको बता दें कि इन चुनावों में अजय राय को पीएम मोदी के सामने करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. वाराणसी लोकसभा सीट से अजय राय पिछले हुए 2 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को टक्कर भी नहीं दे पाए थे. मगर कांग्रेस ने इस सीट पर फिर अजय राय को चुनावी मैदान में उतारा है. इस बार कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी का भी गठबंधन है. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि सपा का वोट और कांग्रेस का वोट अगर मिल जाए तो पीएम मोदी को चुनावी टक्कर दी जा सकती है.
पिछले 2 चुनावों में कैसा रहा वाराणसी लोकसभा सीट का हाल?
बता दें कि साल 2014 में पीएम मोदी वाराणसी लोकसभा सीट पर से 5 लाख 81 हजार 22 वोट से विजयी हुई थे. दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल रहे थे. इस दौरान केजरीवाल को 2 लाख 92 हजार 238 वोट ही मिले थे. इस दौरान कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय का सिर्फ 75 हजार 614 वोट ही मिल पाए थे.
2019 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने अजय राय को ही टिकट दिया और उन्हें पीएम मोदी के सामने खड़ा किया. मगर पीएम मोदी के सामने विपक्षी उम्मीदवार कहीं नजर नहीं आए. इस चुनाव में पीएम मोदी को 6,74,664 लाख वोट मिले. सपा उम्मीदवार शालनी यादव को इस दौरान सिर्फ 1,95,159 वोट ही मिले सके. कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय इस बार भी कोई कमाल नहीं कर पाए और उन्हें सिर्फ 1,52,548 वोट ही मिले. वह तीसरे स्थान पर रहे.
कांग्रेस ने एक बार फिर अजय राय पर दांव खेला है. इस बार सपा भी कांग्रेस के साथ है. अजय राय गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर पीएम मोदी को चुनावी टक्कर देने उतरेंगे. अब देखना ये होगा कि अजय राय इस बार पीएम मोदी को कितनी चुनावी टक्कर दे पाते हैं?
2009 में भी हार चुके हैं लोकसभा चुनाव
माना जाता है कि अजय राय ने अपनी राजनीति की शुरुआत ABVP यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. वह भाजपा से विधायक भी बने. मगर साल 2009 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी और सपा में शामिल हो गए. सपा ने उन्हें वाराणसी से ही भाजपा उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतारा मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए.
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