Moradabad News: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जिला सुर्खियों में बना हुआ है और इसकी वजह हैं यहां से समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार रुचि वीरा. बता दें कि मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सपा की ओर से पहले वर्तमान सांसद एसटी हसन ने नामांकन दाखिल कर दिया था, लेकिन आखिरी वक्त में उनका टिकट काट दिया गया. पार्टी ने एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को अपना उम्मीदवार बनाया, जिसके बाद से वह यूपी की राजनीति में चर्चा का विषय बन गईं हैं. इस बीच लोगों के मन में रुचि वीरा के बारे जानने की उत्सुकता है. आइए आपको खबर में आगे बताते हैं कौन हैं रुचि वीरा, जिन्होंने मुरादाबाद की राजनीति में ला दिया है भूचाल.
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आइए जानते हैं कौन हैं रुचि वीरा?
मालूम हो कि रुचि वीरा का जन्म 2 सितंबर 1961 (उम्र 62) को हुआ था. वह बिजनौर की रहने वाली हैं. सपा से अपनी राजनीति शुरू करने वालीं रुचि वीरा बिजनौर से विधायक रह चुकी हैं. रुचि वीरा ने महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय से कला स्नातक की डिग्री हासिल की है.
रुचि वीरा के पास कितनी है संपत्ति?
सपा की उम्मीदवार घोषित की गईं रुचि वीरा के पास 25 करोड़ रुपये की संपति है. 2022 विधानसभा चुनाव में उनके द्वारा दाखिल किए गए एफिडेविट में उन्होंने लगभग 25 करोड़ 86 लाख रुपये की संपत्ति का ब्यूरो दिया था.
परिवार में कौन-कौन?
रुचि वीरा के परिवार में उनके पति और उनकी बेटी हैं.
कैसा रहा है सियासी सफर?
रुचि वीरा आजकल कुछ ज्यादा ही चर्चा में हैं. अगर उनके सियासी सफर की बात करें तो रुचि वीरा ने 2013 के चुनाव में विधायक रहे कुवंर भारतेंद्र सिंह के सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी. बिजनौर से 2014 से 2017 तक विधायक रहीं. वहीं 2015 में सपा ने उन्हें निलंबित कर दिया था. उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगा था. इसके बाद उन्होंन बसपा जॉइन कर ली थी. वहीं, 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने रुचि को बिजनौर से अपना प्रत्याशी बनाया था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2023 में बसपा ने भी रुचि वीरा को पार्टी से निष्कासित कर दिया था और विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा में उनकी घर वापसी हुई थी.
पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते रहीं हैं चर्चा में
दरअसल, रुचि वीरा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 2015 में सपा ने पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद वह बसपा में चली गई थीं. फिर बसपा ने उन्हें 2023 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बसपा से निकाल दिया था, जिसके बाद आजम खान की मदद से उनकी दोबारा सपा में एंट्री हुई थी.
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