उत्तर प्रदेश में चलते रहेंगे मदरसे, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 5 पॉइंट में समझिए

यूपी तक

05 Nov 2024 (अपडेटेड: 05 Nov 2024, 01:13 PM)

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसों के संदर्भ में अहम निर्णय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की.

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसों के संदर्भ में अहम निर्णय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2004 में बने यूपी सरकार के कानून को असंवैधानिक घोषित किया था, जो मदरसों पर लागू होता था. 
 

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सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की वैधता बरकरार रखी और कहा कि यह धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर जोर दिया. कोर्ट ने माना कि मदरसे धार्मिक शिक्षा का एक माध्यम है और इन्हें रोकना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा.
 

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कोर्ट ने कहा कि मदरसे देश के संविधान के तहत वैध हैं और इन्हें राज्य सरकार के किसी भी प्रकार के अनुचित हस्तक्षेप से बचाया जाएगा. कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार को धार्मिक शिक्षण से अलग नहीं माना है. 
 

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कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि अगर वह मदरसों को वित्तीय सहायता दे रही है तो यह शिक्षा गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर निर्भर करेगा. मदरसों को भी शिक्षण मानकों का पालन करना होगा.
 

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उत्तर प्रदेश में मदरसों की कुल संख्या लगभग 23,500 है. इनमें 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. यानी ये सभी रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा लगभग 8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. मान्यता प्राप्त मदरसों में 560 मदरसे ऐसे हैं, जो एडेड हैं. यानी 560 मदरसों का संचालन सरकारी पैसों से होता है.

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