उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गन्ना किसानों के मुद्दे भी छाए हुए हैं. इस बीच इंडिया टुडे की ओर से दाखिल किए गए आरटीआई आवेदन के जवाब से पता चला है कि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 और 2019-20 में प्रदेश के गन्ना किसानों को उनकी फसल का पूरा भुगतान हो चुका है.
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उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने मेनिफेस्टो में फसल देने के 14 दिनों के अंदर गन्ना किसानों को भुगतान और सत्ता में पार्टी आने के 120 दिनों के अंदर सभी बकाया राशि के भुगतान को सुनिश्चित करने का वादा किया था.
4 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश समेत गन्ना उत्पादक 11 राज्यों से गन्ना की फसल के बकाए के मुद्दे पर जवाब मांगे थे.
इससे पहले 7 जुलाई 2021 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश सरकार से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा था. इस याचिका में दावा किया गया था कि गन्ना किसानों का करीब 12000 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है.
आरटीआई में कौन से सवाल पूछे गए, क्या सामने आया?
गन्ना किसानों को हुए भुगतान से जुड़े आधिकारिक आंकड़े जानने के लिए इंडिया टुडे ने आरटीआई के तहत दो सवाल पूछे:
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उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर किसानों की कितनी राशि बकाया है? कृपया पिछले दस सालों के लिए साल के अंत में बकाया राशि का विवरण उपलब्ध कराएं.
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चीनी मिलों को गन्ना देने के बाद औसतन कितने दिनों में किसान को भुगतान होता है?
पहले सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश के कार्यालय आयुक्त (गन्ना और चीनी) ने यह टेबल उपलब्ध कराई.
इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में (मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में ही) किसानों को शत-प्रतिशत भुगतान मिला और कोई बकाया नहीं है. इसी तरह योगी से पहले के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में भी कोई बकाया नहीं था.
दूसरे सवाल के जवाब में बताया गया कि चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करने के 14 दिनों के भीतर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करने का प्रावधान निर्धारित किया गया है.
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