Noida Supertech Twin Tower Demolition news: नोएडा स्थित सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर 28 अगस्त को ध्वस्त किए जाने वाले हैं. ये टावर दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचे हैं और भारत में गिराए जाने वाली सबसे ऊंची इमारत का स्टेट्स हासिल करने में बस चंद रोज और बचे हैं. परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि 100 मीटर से थोड़ी ज्यादा ऊंची इमारतें 15 सेकंड से भी कम वक्त में ताश के पत्तों से बने घर की तरह ढह जाएंगी. ध्वस्तीकरण की यह प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दी जाएगी और उसके लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा.
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इसके ध्वस्तीकरण के बाद सबसे बड़ा सवाल 55,000 टन के मलबे का निस्तारण करने को लेकर पैदा होगा. मुंबई स्थित कंपनी ‘एडिफिस इंजीनियरिंग’ दक्षिण अफ्रीका की अपनी साझेदारी कंपनी ‘जेट डिमोलिशंस’ के साथ मिलकर नोएडा ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण का जिम्मा संभाल रही है, जो उसके लिए दुनिया में सिविल इंजीनियरिंग के सबसे बड़े कारनामों में से एक है.
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Twin Tower News: एडिफिस इंजीनियरिंग (EDIFICE Engineering) के अधिकारी उत्कर्ष मेहता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सभी विस्फोटकों में धमाका होने में नौ से 10 सेकंड का वक्त लगेगा और धमाके की जोरदार आवाज आएगी. धमाकों के बाद इमारतें एक बार में नहीं गिरेंगी और उन्हें पूरी तरह मलबे के ढेर में तब्दील होने में चार से पांच सेकंड का वक्त लगेगा.’’
10 मिनट में छंटेगा धूल का गुबार
उन्होंने कहा, ‘‘धूल का गुबार छंटने में लगभग 10 मिनट का वक्त लगेगा.’’ एडिफिस इंजीनियरिंग पहले केरल के मराडु में अवैध रिहायशी इमारतों, तेलंगाना के सचिवालय और केंद्रीय कारागार के अलावा गुजरात में पुराना मोटेरा स्टेडियम (Motera Stadium) ध्वस्त करने का जिम्मा उठा चुकी है. परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि ध्वस्तीकरण में इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों में डेटोनेटर्स, रासायनिक मिश्रण और शॉक ट्यूब शामिल हैं, जिनमें ‘जेल’ या पाउडर रूप में विस्फोटक सामग्री होती है.
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एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये विस्फोटक बहुत प्रभावशाली नहीं होते हैं लेकिन जब इन्हें बड़ी तादाद में इस्तेमाल किया जाता है तो ये कंक्रीट को तोड़ सकते हैं.’’ गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक के इन ट्विन टावरों (Twin Towers Noida) को ध्वस्त किया जा रहा है. न्यायालय ने इन इमारतों को अवैध करार देते हुए कहा है कि नियमों का उल्लंघन करके इनका निर्माण किया गया है.
परियोजना के अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए आकलन के अनुसार, एपेक्स (32 मंजिला) और सियान (29 मंजिला) इमारतों के ध्वस्त होने से तकरीबन 35,000 घन मीटर मलबा और धूल का गुबार पैदा होगा, जिसका निपटान किया जाना होगा. नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक (योजना) इश्तियाक अहमद ने कहा कि 21,000 घन मीटर मलबे को वहां से हटाया जाएगा और पांच से छह हेक्टेयर की एक निर्जन जमीन पर फेंका जाएगा. बाकी मलबा ट्विन टावर के भूतल क्षेत्र में भरा जाएगा, जहां एक गड्ढा बनाया गया है.
मलबे को लेकर 1200-1300 फेरे लगाएंगे ट्रक
मेहता ने बताया कि ट्रक मलबे को लेकर करीब 1,200 से 1,300 फेरे लगाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, देरी होने से एक अच्छी बात हुई है. जेट डिमोलिशंस का दल पिछले एक सप्ताह से हवा के प्रवाह पर नजर रख रहा है और उन्होंने हवा का प्रवाह पश्चिम की ओर पाया है. अगर ऐसी ही प्रवृत्ति बनी रहती है तो ज्यादातर धूल ट्विन टावर के आगे के हिस्से की ओर चलेगी, जो कि सामने सड़क का हिस्सा है और खुला हुआ है.’’
हालांकि, पूरा मलबा बेकार नहीं जाएगा. इसमें से तकरीबन 4,000 टन लोहा और इस्पात निकलेगा, जिसका इस्तेमाल एडिफिस ध्वस्तीकरण की लागत वसूलने के तौर पर करेगी. नोएडा प्राधिकरण का भी सेक्टर 80 में निर्माण और ध्वस्त कचरा प्रबंधन संयंत्र है, जिसमें हर दिन 3000 टन कचरे का निस्तारण करने की क्षमता है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस मलबे का वहां पर निस्तारण किया जाएगा या नहीं और अगर किया जाएगा तो कैसे, कितने वक्त में किया जाएगाय
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