नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित ट्विन टावर के विध्वंस के बाद शुरूआत में ये कहा जा रहा था कि कोई नुकसान नहीं हुआ है सिवाय एटीएस विलेज की बाउंड्री वॉल टूटने और कुछ फ्लैट्स के कांच फूटने के अलावा. वहीं ट्विन टावर के बेहद करीब स्थित सोसायटी एटीएस विलेज में खंभों और दीवारों में दरारों की बात सामने आ रही है. ये तब पता चला जब एक फ्लैट ओनर विध्वंस के दो दिनों बाद लौटे. उन्होंने देखा कि फ्लैट की दीवारों पर दरारें हैं.
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फिलहाल फ्लैट ओनर की डिमोलिशन कंपनी से बातचीत चल रही है. बताया जा रहा है कि डिमोलिशन कंपनी ने ट्विन टावर के पास स्थित सोसायटियों के लिए 100 करोड़ का बीमा कराया था. फिलहाल मलबे को तोड़ने का काम किया जा रहा है. पूरे इलाके में धूल के कणों को फैलने से रोकने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है.
गौरतलब है कि ट्विन टावर के 30 हजार टन मलबे का पुनर्चक्रण (रिसाइकिल) ‘रि-सस्टेनेबिलिटी’ कंपनी करेगी. इस मलबे को निर्माण सामग्री में बदला जाएगा. करीब 100 मीटर ऊंचे दो टावरों को रविवार 28 अगस्त को गिरा दिया गया था. इसे ध्वस्त करने में 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ.
इस बीच ट्विन टावर को जमींदोज कराने की लड़ाई उच्चतम न्यायालय तक लड़ने वाली सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी की आरडब्ल्यूए ने नया ऐलान किया है. आरडब्ल्यूए अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया ने कहा है कि आरडब्ल्यूए और सोसायटी के निवासी खाली हुई जमीन पर किसी भी निर्माण के लिए बिल्डर को सहमति नहीं देंगे. उन्होंने बताया कि ट्विन टावर की जमीन पर एक छोटा ग्रीन पार्क, बच्चों के खेलने का मैदान और एक मंदिर बनाने की योजना है. इसके लिए जल्द ही बैठक कर पूरी सोसायटी के निवासियों की सहमति ली जाएगी.
(इनपुट: भाषा)
नोएडा: ट्विन टावर ध्वस्त होने के बाद आया नया पेंच, जानिए क्या है 25 करोड़ का मामला
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